कुरान ने सूरा फातिहा की पोल खोली !
मुसलमानों का दावा है कि कुरान अल्लाह की किताब है , और उसका एक एक शब्द अल्लाह का वचन है . मौजूदा कुरान में छोटे बड़े कुल 114 अध्याय (Chapters) हैं ,जिनको अरबी में सूरा कहा जाता है , और हरेक सूरा में जो वाक्य होते हैं ,उनको आयत (Verses ) कहा जाता है . कुरान की पहली सूरा का नाम सूरा "अल फातिहा " है . इसमे कुल 7 आयतें है . जिनमे अल्लाह के गुणों , शक्तियों और महानता का वर्णन करते हुए अल्लाह की तारीफ़ की गयी है . और उस से दुआ की गयी है . सूरा फातिहा को हर नमाज में पढ़ना अनिवार्य है . इसकी पहली 5 आयतें इस प्रकार हैं ,जो अरबी से उर्दू में अनुवादित की हैं ,
2.सब तारीफें अल्लाह के लिए जो जहानों (Worlds) का मालिक है
3.बड़ा मेहरबान और निहायत रहमदिल .
4.जजा के दिन ( न्याय दिवस ) का मालिक .
5.हम तेरी ही इबादत करते हैं , और तुझी से मदद माँगते हैं .
6.हमें सीधा रास्ता दिखा .
7.उन लोगों का रास्ता जिन पर तूने इनाम किया ,न कि जिन पर तेरा गजब नाजिल हुआ और न वह जो गुमराह हुए .
सूरा फातिहा की इन पहली 5 आयतों को पढ़ कर यही सवाल पैदा होता है ,कि अगर यह आयतें सचमुच अल्लाह के वचन हैं , और किसी और की रचना नहीं तो , अल्लाह को अपने मुंह से अपनी तारीफ़ करने की क्या जरूरत पड़ गयी?
इसका असली कारण यह है कि सूरा फातिहा कुरान की पहली सूरा नहीं है , इसे बाद में उस समय पहला कर दिया गया जब कुरान की ऐसी आयतें बन चुकी थीं जिनमे अल्लाह के बारे में सूरा फातिहा के विपरीत बातें दी गयी थीं . उदाहरण के लिए पहले सूरा फातिहा की एक एक आयत लेते हैं , और कुरान से उसके विपरीत आयत की तुलना देखते हैं .
1-जगत का मालिक नहीं है
सूरा फातिहा की आयत 2 में कहा है "जो जहानों (Worlds) का मालिक है "यह बात भी सरासर झूठ है क्योंकि अल्लाह ने मुसलमानों के प्राण खरीद लिए है ,जैसा कि की इस आयत में कहा है ,
" बेशक अल्लाह ने मुसलमानों के प्राण और माल इसलिए खरीद लिए हैं ,कि वह जन्नत के लिए अल्लाह के रास्ते पर लड़ते हैं , और मारे जाते हैं और मारते हैं " सूरा -तौबा 9:111
और सामान्य नियम के अनुसार किसी वस्तु को खरीदने वाला ही उसका मालिक मना जाता है ,इसलिए अल्लाह सिर्फ मुसलमानों का मालिक है ,अल्लाह हिन्दुओं और अन्य धर्म के लोगों का मालिक नहीं हो सकता , क्योंकि अल्लाह न तो इनको खरीद सकता है . और न यह बिकाऊ हैं .और सामान्य नियम के अनुसार किसी वस्तु को खरीदने वाला ही उसका मालिक मना जाता है ,इसलिए अल्लाह सिर्फ मुसलमानों का मालिक है ,अल्लाह हिन्दुओं और अन्य धर्म के लोगों का मालिक नहीं हो सकता , क्योंकि अल्लाह न तो इनको खरीद सकता है . और न यह बिकाऊ हैं (Allah is Lord of muslims only)
2- अल्लाह दयालु और कृपालु नहीं है
सूरा फातिहा की आयत 3 में कहा है "बड़ा मेहरबान और निहायत रहमदिल "लेकिन जो अल्लाह सभी गैर मुस्लिमों को दुश्मन मानता हो . उनसे नफ़रत करता हो , और उन पर धिक्कार करता हो , और उनकी जिंदगी दुखदायी बनाने का इरादा रखता हो , वह कभी भी दयालु नहीं हो सकता है जैसा कि कुरान की यह आयतें बताती हैं ,
"अल्लाह काफिरों का दुश्मन है " सूरा - बकरा 2:98
(Allah is an enemy to the disbelievers. 2:98)
"अल्लाह काफिरों को धिक्कार करता है "सूरा -बकरा 2:89
(The curse of Allah is on disbelievers. 2:89)
"अल्लाह गैर मुस्लिमों की जिंदगी दुखदायी ( miserable ) बना देगा " सूरा -बकरा 2:114
(Allah will make disbelievers' lives miserable in this world . 2:114
और अगर सचमुच अल्लाह दयालु और रहमदिल होता तो , उसके अनुयायी जिहादी इतने क्रूर और बेरहम नहीं होते , जो बच्चो और महिलाओंको क़त्ल करने को अल्लाह का हुक्म मानते हैं
3-न्याय दिवस का स्वामी नहीं है
सूरा फातिहा की आयत 4 में कहा है "जजा के दिन ( न्याय दिवस ) का मालिक ".लेकिन कुरान की इन आयतों और हदीस के अनुसार अल्लाह न्याय दिवस का स्वामी नहीं है , उसकी जगह मुहम्मद न्याय करेंगे
" हे मुहम्मद ,करीब है कि तुम्हारा रब तुम्हें उच्च पद पर नियुक्त कर दे " सूरा - बनी इस्राइल 17:79
"your Lord will raise you to a praiseworthy station.” [Isra’a 17: 79]
कुरान की इस आयत की व्याख्या में मुस्लिम विद्वान "अबुल सना शिहाबुद्दिन सय्यद महमूद इब्न अल हुसैनी अल अलूसी अल बगदादी -أبو الثناء شهاب الدين سيد محمود بن عبد الله بن محمود الحسيني الآلوسي البغدادي "अपनी किताब "रूहुल मायनी -روح المعاني " में कहते हैं ,कि न्याय के दिन अल्लाह अपना पूरा अधिकार अपने हबीब मुहम्मद को सौंप देंगे , और वही अपनी इच्छा के अनुसार लोगों के कर्मों का फैसला करेंगे .
और लगभग यही बात इस आयत में भी कही गयी है
" उस दिन किसी का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं होगा ,सिवाय उसके जिसे अल्लाह ने अनुज्ञा दी हो ,और उसकी सिफारिश मानी जायेगी "सूरा -ता हां 20:109
On that Day shall no intercession avail except for those for whom permission has been granted by (Allah)20:109
अल्लाह न्याय दिवस का स्वामी नहीं है , बल्कि मुहम्मद भी अल्लाह का सहभागी है , यह बात इस हदीस से सिद्ध हो जाती है ,
"अब्दुल्लाह बिन उमर ने कहा , जब अल्लाह क़यामत के दिन लोगों के कर्मों का फैसला करेगा तो , मुहम्मद मध्यस्थता करेंगे . अल्लाह उनको मध्यस्थता करने की सुविधा प्रदान कर देगा "
Narrated 'Abdullah bin 'Umar:"Muhammad will intercede with Allah to judge amongst the people, and then Allah will exalt him to Maqam Mahmud (the privilege of intercession,
सही बुखारी - जिल्द 2 किताब 24 हदीस 553
इन तथ्यों से यही सिद्ध होता है कि यातो अल्लाह में खुद सही न्याय करने की क्षमता नहीं है , या मुहम्मद ही अल्लाह बन कर लोगों को को भ्रमित करते रहते थे
4-रास्ता भटकाने वाला
सूरा फातिहा की आयत 6 में दुआ मांगी गयी है कि "हमें सीधा रास्ता दिखा "लेकिन अल्लाह लोगों को सीधा रास्ता दिखने की जगह रास्ते से भटका देता है ,जैसा की कुरान की इस आयत में कहा है ,
"फिर अल्लाह जिसको चाहे भटका देता है " सूरा -इबराहीम 14:4
(Then Allah misleads WHOM HE WILLS )
और यदि अल्लाह सचमुच मुसलमानों को सीधा रास्ता दिखाने वाला होता तो , तो अधिकांश मुसलमान आतंकवादी नहीं बन गए होते . जबकि अन्य धर्म के लोग अल्लाह की मेहरबानी के बिना ही सीधे रास्ते पर चल रहे हैं
इस प्रकार सूरा फातिहा में अल्लाह की तारीफ़ में जो 7 आयतें दी गयी हैं , उसके विरुद्ध खुद अल्लाह की किताब ने ऎसी चार आयतें पेश कर दी हैं जो अल्लाह की महानता का भंडा फोड़ने के लिए पर्याप्त हैं . इसी लिए सूरा फातिहा को पहले कर दिया गया था. ताकि भोले भले लोग अल्लाह की ऐसी तारीफ़ से पहले तो प्रभावित होकर इस्लाम के चंगुल में फंस जाएँ . फिर उनको बाकि कुरआन पढ़ा कर आसानी से जिहादी बनाया जा सके ,
स्रोत और उद्धरण-http://bhaandafodu.blogspot.in/2014/11/blog-post_25.html
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