Thursday, 6 April 2017

पुरुषों में नापुन्शंकता के प्रमुख कारण




पुरुषों में नापुन्शंकता के प्रमुख कारण

कण्‍ठमाला
जवानी के बाद कण्‍ठमाला (कनपेड़) होने से अंडकोषों में शुक्राणुओं उत्‍पन्‍न करने वाली कोशिकाओं पर विपरीत असर पड़ता है। कुछ पुरुषों को इस रोग से स्‍थायी रूप से बांझपन का सामना करना पड़ता है।

वैरीकोसेल (वृषण-शिरापस्‍फीति)
जब अंडकोषों से रक्‍त ले जाने वाली रक्‍तवाहिनी में सूजन आ जाती है, तब वैरीकोसेल होता है। इससे अंडकोषों में पर्याप्‍त मात्रा में रक्‍तप्रवाह नहीं हो पाता। हालांकि, वैरीकोसेल का निदान संभव है, लेकिन हर बार वैरीकोसेल के इलाज के बाद भी स्‍पर्म की क्‍वालिटी में सुधार आने की संभावना नहीं होती। ऐसा माना जाता है कि यदि इस बीमारी का इलाज सही प्रकार हो भी जाए, तो भी केवल 25 फीसदी मरीजों में ही सुधार देखा जाता है।

टेस्‍ट‍िकुलर कैंसर
बहुत कम मामलों में ऐसा देखा जाता है कि जब किसी दंपती को गर्भधारण में परेशानी होती है, तब टेस्टिकुलर कैंसर का निदान करना पड़े। अंडकोष में बढ़ने वाला य ह जानलेवा ट्यूमर कोशिकाओं को नष्‍ट कर देता है। यदि समय रहते इसकी पहचान न की जाए, तो यह शरीर के अन्‍य भागों को भी प्रभावित कर सकता है।

डायबिटीज
कई शोध इस बात की पुष्टि कर चुके हैं कि डायबिटीज शुक्राणुओं के स्‍तर को नुकसान पहुंचाता है। इससे शुक्राणुओं के चाल और गुणवत्‍ता पर नकारात्‍मक असर पड़ता है।

सर्जरी अथवा चोट
अंडकोषों पर गंभीर चोट भी शुक्राणुओं के स्‍तर को नुकसान पहुंचाती है। कई बार यह परिस्थिति पुरुष बांझपन तक पहुंच सकती है। खेल अथवा दुर्घटना के कारण अंडकोषों को रक्‍त पहुंचाने वाली नसों को नुकसान होता है। इसके साथ ही अंडकोषों की सर्जरी अथवा हर्निया का ऑपरेशन भी पुरुष में वीर्य उत्‍पादन की क्षमता को नुकसान पहुंचाता है।

शारीरिक असामान्‍यताएं
कभी-कभार संभोग के दौरान स्‍खलित हुए पुरुष वीर्य में शुक्राणु नहीं होते। हालांकि, ऐसा बहुत कम मामलों में होता है। ऐसा यूरेथ्रा वास अथवा एपिडेमिस में ब्‍लॉक अथवा किसी अन्‍य समस्‍या उत्‍पन्‍न होने के कारण होत है। इससे वीर्य में शुक्राणु नहीं मिल पाते।

अधिक देर तक गर्म तापमान में रहना
शुक्राणुओं के उत्‍पादन पर गर्मी का बुरा असर पड़ता है। विशेषतौर पर भट्टी और बॉयलर में काम करने वाले मजदूरों पर इसका काफी बुरा असर पड़ता है।

अधिक तनाव
बहुत अधिक तनाव, थकान और अल्‍कोहल का सेवन भी कामेच्‍छा पर नकारात्‍मक असर डालते हैं। अभी हाल ही तक नपुसंकता के अधिकतर कारणों को मनोवैज्ञानिक समझा जाता था, लेकिन हर बार ऐसा नहीं होता। नयी दवाओं से तनाव आदि को दूर किया जा सकता है और इससे नपुसंकता को भी काबू किया जा सकता है।

1 comment:



  1. बेहतरीन जानकारी ..... आपके द्वारा दी गई जानकारी काफी लाभदायक है और आप आगे भी ऐसी जानकारी साझा करते रहे और अगर आप पुरुष बांझपन कि गलत धारणा के बारे में जानना चाहते हो तो इस लिंक पर जाएं।

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