Saturday, 29 April 2017

विनोद खन्ना जीवन परिचय (06/10/1946-27/04/2017)


विनोद खन्ना जीवन परिचय (06/10/1946-27/04/2017)


दोस्तों हम सभी विनोद खन्ना जी के बारे में अच्छे से जानते है शायद कोई हो जो खन्ना परिवार से परिचित न हो और सभी खन्ना जी से प्रेम करते है और करते रहेगे|विनोद खन्ना जी राजनेता भी थे और अभिनेता भी|खन्ना साहब एक अच्छे राजनीतिज्ञ थे और साथ ही आप सांसद और मंत्री भी रह चुके है|आपको आज मै बड़े खेद और दुःख के साथ कह रहा हु की विनोद खन्ना साहब अब इस दुनिया में नही रहे|कल यानि 27 अप्रैल 2017 को स्वर्ग सिधार गए|बहुत दिनों से कैंसर से पीड़ित रहने से निधन हो गया|आज मै आपको विनोद खन्ना जी के बारे में कुछ जानकारी देने जा रहा हु इस आर्टिकल के माध्यम से आप सभी मेरे इस आर्टिकल को जरुर पढेंगे|
आपको बताये पिछले कुछ समय से मुंबई के अस्‍पताल में भर्ती विनोद खन्ना साहब का निधन हो गया है| वह पिछले कुछ समय से कैंसर से जूझ रहे थे| विनोद खन्‍ना का 70 साल की उम्र में निधन हुआ है|फिल्‍मों से लेकर राजनीति, विनोद खन्‍ना काफी सक्रिय रहे थे| विनोद खन्ना का मुंबई के एचएन रिलायंस अस्पताल में इलाज चल रहा था|हाल ही में उनकी एक फोटो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी, जिसके बाद उनके बेटे ने कहा था कि उनक तबियत अभी ठीक है| विनोद खन्‍ना भारतीय फिल्‍मों के दिग्‍गज अभिनेता  रहे हैं|आज मै आपको इनके बारे में बताने जा रहा हु|

विनोद खन्ना जीवन परिचय –

दोस्तों विनोद खन्ना का जन्म 6 अक्टूबर,1946 को पेशावर में हुआ था| उनका परिवार अगले साल 1947 में हुए विभाजन के बाद पेशावर से मुंबई आ गया था|उनके माता-पिता का नाम कमला और किशनचंद खन्ना था|इनके पिता बहुत बड़े व्यापारी थे|1960 के बाद की उनकी स्कूली शिक्षा नासिक के एक बोर्डिग स्कूल में हुई वहीं उन्होने सिद्धेहम कॉलेज से कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया था|उन्होंने अपने फ़िल्मी सफर की शुरूआत 1968 मे आई फिल्म “मन का मीत” से की जिसमें उन्होने एक खलनायक का अभिनय किया था| कई फिल्मों में उल्लेखनीय सहायक और खलनायक के किरदार निभाने के बाद 1971 में उनकी पहली सोलो हीरो वाली फिल्म हम तुम और वो आई|कुछ वर्ष के फिल्मी सन्यास, जिसके दौरान वे आचार्य रजनीश के अनुयायी बन गए थे, के बाद उन्होने अपनी दूसरी फिल्मी पारी भी सफलतापूर्वक खेली और अभी तक भी फिल्मों में सक्रिय हैं|इस तरह इन्होने अपनाcareer फिल्म इंडस्ट्री में ही बनाया|

आपको बताये 1987 से 1994 में विनोद खन्ना बॉलीवुड के सबसे मंहगे सितारों में से एक थे| अपने करियर की पीक पर होने के बावजूद विनोद खन्ना ने फिल्म इंडस्ट्री से सन्यास ले लिया और ओशो के अनुयायी बन गए|वह अक्सर पुणे में ओशो के आश्रम जाते थे और इस हद ओशो से प्रभावित थे कि अपने कई शूटिंग शेड्यूल भी पुणे में ही रखवाए|कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विनोद संन्यास लेकर अमेरिका चले गए और ओशो के साथ करीब 5 साल गुजारे|हर तरह से आपने अपने जीवन में संघर्स ही किया|



विनोद खन्ना फ़िल्मी सफ़र –

दोस्तों उन दिनों सुनील दत्त साहब अपने भाई सोम दत्त को लांच करने के लिए फिल्म बना रहे थे|उन्होंने विनोद खन्ना को देखा और बतौर खलनायक साइन कर लिया|दोस्तों मन  का मीत नाम की इस फिल्म का हीरो तो चला नहीं लेकिन विनोद खन्ना की गाड़ी फर्राटा दौड़ निकली| शुरुआती दौर में उन्होंने कई फिल्में कीं, जिनमें वे खलनायक की भूमिका में रहे|पूरब और पश्चिम, सच्चा झूठा, आन मिलो सजना, मेरा गांव मेरा देश, ऐलान… मगर ये एक और सच है कि उनके लुक्स खलनायक वाले किरदार के साथ जमते नहीं थे|चुनांचे, वो नायक की तरह स्क्रीन पर उभर कर आए|

दोस्तों खन्ना साहब की पहली फिल्म थी हम तुम और वो और इसके ठीक बाद आई गुलज़ार की मेरे अपने, हालांकि ये मल्टी स्टारर फिल्म थी लेकिन विनोद साहब को काफ़ी पसंद किया गया|उन्होंने ढेरों ऐसी फिल्में की जहां कई सितारे साथ थे, पर वे हर बार अपनी अलग छाप छोड़ने में कामयाब हुए|विनोद खन्ना ने अपने चार दशक लंबे सिने करियर में लगभग 150 फिल्मों में अभिनय किया|उनके निभाए हर किरदार सिनेमा प्रेमियों के दिलों में ज़िंदा है|

दोस्तों वापसी के बाद अपने आशियाने को सजाने के बजाय उन्होंने अपना खोता आत्मविश्वास पाने की कोशिश की| वे फिर से अपने काम में जुट गए|डिंपल कपाड़िया के साथ कमबैक फिल्म की इंसाफ|ये फिल्म सुपरहिट रही हालांकि इस फ़िल्म की शूटिंग के दौरान भी विनोद कई दफा ओशो की तरफ मुड़े|एक बार तो महीना भर ग़ुम ही रहे, पर फिर लौट आए| अपनी ज़िंदगी को फिर बदलने की पक्की मंशा के साथ, विश्वास का हाथ थामे|यहीं उनके हाथों में एक और हाथ आया| कविता से विनोद की मुलाक़ात का किस्सा काफी दिलचस्प है|कविता की पारिवारिक और आर्थिक पृष्ठभूमि बिल्कुल अलग थी|वे लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से पढ़ी थीं, विनोद खन्ना को ज़्यादा जानती भी नहीं थीं लेकिन किस्मत को तो मानो ज़िंदगी के सारे राज़ मालूम होते हैं ऐसा लगा दोनों का मिलना पहले से तय था|

आपको बताये उस समय तक कविता ने उनकी दो ही फ़िल्में देखीं थीं, अमर अकबर एंथोनी और आन मिलो सजना| वे इससे पहले किसी फ़िल्मी पार्टी में नहीं गई थीं और न ही उसके बाद फिर कभी गईं| एक पार्टी में दोनों मिले, कविता को विनोद बहुत सिंपल लगे|विनोद ने उनसे फ़ोन पर बातचीत का सिलसिला शुरू किया|वे कविता को दिन में 5 दफा कॉल किया करते थे, घंटों बातें होतीं|विनोद उनसे मिलने की गुज़ारिश करते पर वे नहीं मानतीं|फिर एक रोज़ वे उनसे घर से बाहर मिलने को राज़ी हुईं, तय हुआ कि हर सुबह जॉगिंग के दौरान मिलेंगे| फिर एक दिन विनोद बैडमिंटन खेलकर लौटे कि कोई कच्चा-सा पल जन्मा और उन्होंने कविता के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया| वे नहीं चाहते थे कि उनका और कविता का रिश्ता सिर्फ बातों तक ही सीमित रह जाए|कविता उस वक़्त 28 साल की थीं, जब उन्हें विनोद खन्ना से मुहब्बत हुई| उनकी दुनिया अलग थी, विनोद तलाकशुदा थे, दो बच्चों के पिता पर फिर भी वे मना नहीं कर पाईं और उम्र में काफी बड़े विनोद का हाथ थाम लिया| कविता हर कदम पर उनके साथ रहीं, बच्चों का भी ख़याल रखा|वे हर मोड़ पर विनोद का भावनात्मक संबल बनी रहीं जब उन्होंने राजनीति में क़दम रखा तो कविता हर समय उनके साथ मौजूद थीं|

विनोद खन्ना का राजनिति सफ़र –

दोस्तों वर्ष 1997 और 1999 में वे दो बार पंजाब के गुरदासपुर क्षेत्र से भाजपा की ओर से सांसद चुने गए|2002 में वे संस्कृति और पर्यटन के केन्द्रिय मंत्री भी रहे|सिर्फ 6 माह पश्चात् ही उनको अति महत्वपूर्ण विदेश मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री बना दिया गया|आप सभी जानते है विनोद खन्ना जी बहुत अच्छे व्यक्तित्व के आदमी थे|अब आइये जानते है खन्ना जी की उपलब्धियां|

विनोद खन्ना साहब की उपलब्धियाँ –

दोस्तों आपको बताये खन्ना साहब ने अपने कैरियर में बहुत से अवार्ड प्राप्त किये इसमें आपको बताये 1975 में “हाथ की सफाई” फिल्म के लिए फिल्मफेयर अवार्ड बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर के लिए मिला था|
1999 में फिल्मफेयर अवार्ड लाइफटाइम अचेइवेमेंट अवार्ड दिया गया था|
साल 2001 में कलाकार की तरफ से लाइफटाइम अचीवेम्नेट अवार्ड मिला|
2005 में स्टारडस्ट की तरफ से रोल मॉडल ऑफ़ द इयर अवार्ड मिला|
साल 2007 में जी सिने अवार्ड की तरफ से लाइफटाइम अवार्ड मिला|

दोस्तों इस तरह विनोद खन्ना जी का पूरा सफ़र अच्छा ही रहा|इसलिए आप सभी ने आज इस आर्टिकल के माध्यम से मैंने आपको बताया की खन्ना साहब की जीवन लीला क्या रही और कहाँ तक सफल हुए|अब मै समझ सकता हु आप सभी को मेरा ये पोस्ट अच्छा लगा होगा अगर आपने अच्छे से मेरा पोस्ट पढ़ा होगा तो जरुर आपको सारी  जानकारी मिल गयी होगी|

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