युवाओं में बढती नशाखोरी की प्रवृत्ति और नशा छुड़ाने के तरीके
युवा लोगों में शराब पीने की लत तो बढ़ ही रही थी अब पीकर बेहोश होने का नया चलन शुरू हो गया है. आर्थिक सहयोग और विकास संगठन ओईसीडी ने एक ताजा रिपोर्ट में पश्चिमी देशों के युवाओं में इस बढ़ते चलन पर चिंता जताई है.
प्रमुख औद्योगिक देशों के संगठन ओईसीडी के 34 सदस्य देशों में पिछले दो दशकों से अल्कोहल के इस्तेमाल में थोड़ी कमी आई है लेकिन खासकर युवाओं और महिलाओं में ज्यादा शराब पीने की आदत बढ़ रही है. संगठन ने अल्कोहल के दुरुपयोग को रोकने के लिए लक्षित कदमों की मांग की है.
बिंगे ड्रिंकिंग का चलन
आनन फानन में पांच से आठ ग्लास अल्कोहल पीने को बिंगे ड्रिंकिंग का नाम दिया गया है. इसका मकसद जल्द से जल्द नशे में आना होता है. जल्दबादी में किक पाने की बढ़ती रुझान के पीछे ओईसीडी यह वजह मानती है कि अल्होकल पश्चिमी देशों में पहले के मुकाबले आसानी से उपलब्ध है और अक्सर युवा लोगों को ध्यान में रखकर ही बनाया जाता है और उसकी मार्केटिंग की जाती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि संभवतः इसी का नतीजा है कि अल्कोहल के प्रति युवा पीढ़ी का रवैया बदल रहा है.
पेरिस स्थित संगठन ने अल्कोहल के प्रचार और बिक्री के नियमन के लिए सख्त कानूनों की मांग की है. इसके अलावा अल्कोहल वाले उत्पादों पर टैक्स बढ़ाने और सड़क यातायात में शराब पीकर गाड़ी चलाने के नियम का सख्ती से पालन करने की भी मांग की गई है. ओईसीडी की रिपोर्ट में कहा गया है कि अल्कोहल पीने से स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान की स्थिति में जनरल प्रैक्टिशनर समय रहते मरीजों को सलाह दे सकते हैं. ओईसीडी के अनुसार इस तररह के कदमों से जर्मनी में ही हर साल 44,000 लोगों की जान बचाई जा सकेग
ओईसीडी के अनुसार दुनिया भर में इस बीच शराब पीना मौत और अपाहिज होने का पांचवा सबसे प्रमुख कारण बन गया है. एड्स, हिंसा और क्षय रोग की वजह से जितनी जानें जा रही हैं, उनसे ज्यादा जानें शराब पीने की वजह से जा रही हैं. ओईसीडी के महासचिव आंखेल गुरिया ने कहा है कि अत्यधिक अलकोहल के इस्तेमाल से समाज और अर्थव्यवस्था को दुनिया भर में भारी नुकसान हो रहा है. आंकड़ों के अनुसार ओईसीडी के इलाके में 15 साल से अधिक उम्र का हर व्यक्ति औसत 9.1 लीटर शुद्ध अल्कोहल का इस्तेमाल करता है, जिसका मतलब 100 बोतल वाइन या 200 बोतल बीयर है. शराब के उपभोग का वैश्विक औसत 6.2 लीटर विशुद्ध अल्कोहल है.
दूसरे देशों की तरह जर्मनी में भी बहुत ज्यादा पीने वालों का एक छोटा दल अल्कोहल का इस्तेमाल करता है. सकल उपभोग का 60 फीसदी अधिक पीने वाले 20 फीसदी लोग गटक जाते हैं. 2010 में 43 फीसदी 15 वर्षीय नौजवानों और 41 फीसदी लड़कियों ने माना था कि वे कम से कम एक बार पीकर टल्ली हो गए थे. 2002 में यह हालत 30 फीसदी लड़कों और 26 फीसदी लड़कियों की हुई थी.
नशा छुड़ाने के कई तरीके
थाई विधि
थामक्राबोक मठ में नशे की लत से छुटकारा पाने के इच्छुक लोग बौद्ध भिक्षुओं के बीच रहते हैं. वे सीखते हैं कि शरीर को हानिकारक तत्वों से कैसे मुक्त किया जाए. इस कार्यक्रम में शारीरिक और मानसिक परेशानियों को आध्यात्मिक तरीके से ठीक करने का दावा किया जाता है.
उल्टी करते रहो
नशे के आदी लोगों को यह कोर्स कम से कम दस दिन तक लगातार करना होता है. हर किसी को जड़ीबूटियों से बना एक मिश्रण पीना पड़ता है, इसे पीने से तुरंत ही उल्टी हो जाती है. यहां से निकलने से पहले उन्हें वादा करना होता है कि वे अब कभी दोबारा नशा नहीं करेंगे.
पूरी सफाई के लिए
पेरू में नशे के इलाज के लिए हर साल सैकड़ों लोग अयाउआस्का केंद्र जाते हैं. मरीजों को प्राकृतिक दवाएं दी जाती हैं. लेकिन पश्चिमी डॉक्टर कहते हैं कि उनकी इन दवाओं से वमन, अति पसीना आना, पेट खराब होना और डरावनी चीजें दिखने जैसी शिकायतें हो सकती है. यहां तक कि इनसे मरीज की मौत भी हो सकती है. कई देशों में यह प्रतिबंधित है.
धार्मिक तरीका
रियो दे जनेरो में यह पुनर्सुधार ग्रह आध्यात्मिक तरीकों पर आधारित है. केंद्र के बाहर ये लोग सुबह की प्रार्थना के लिए इकट्ठा हुए हैं. इन सभी को चर्च के पास ही रहने की भी जगह दी गई है.
जंजीरों से बांधकर
अमानुल्लाह की नशे की लत छुड़ाने के लिए उन्हें मजार के पास जंजीरों से 40 दिनों तक बांध कर रखा जाएगा. पूर्वी अफगानिस्तान में जलालाबाद के लोगों का मानना है कि नशे के लती, मानसिक रोगी और जिन पर आत्माओं का साया हो, उनका यही इलाज है. इन मरीजों को पानी, रोटी और काली मिर्च खाने को मिलती है.
ऊपरी मदद
स्थानीय लोगों का मानना है कि जंजीरों से इन्हें बांध कर रखने पर मीर अली बाबा उनकी मदद करेंगे. उन्हीं के नाम पर यह मजार बनाई गई थी. इस तरह की धारणाएं अफगानिस्तान ही नहीं दुनिया के कई देशों में आम हैं. कई जगह तो ऐसे मरीजों को नशा करने पर जान से मार दिया जाता है.
मजदूर ग्रह की तरह
अगर आप चीन में रहकर नशे के लती हैं तो आपको जेल भेजकर पुनर्सुधार कार्यक्रम लागू किया जा सकता है. कोकेन, हेरोइन या गांजे के साथ पकड़े जाने पर उसे इन सुधारगृहों में भेज दिया जाता है. चीन के गांसू प्रांत में ये मरीज ऐसे ही सुधारगृह में कसरत कर रहे हैं. कई मानव अधिकार संगठनों का कहना है कि चीन इन मरीजों से काम करवाकर उनका शोषण कर रहा है.
मौत के नजदीक
किरगिस्तान के एक डॉक्टर द्वारा तैयार की गई कोमा विधि शायद नशा छुड़ाने का सबसे खतरनाक तरीका है. इस इलाज में मरीजों को एक इंजेक्शन लगाया जाता है जिससे वे घंटों के लिए कोमा जैसी अवस्था में चले जाते हैं. माना जाता है कि जब वे दोबारा जागेंगे तो नशे की लत छूट चुकी होगी. कई विशेषज्ञ उनकी इस तकनीक को खतरनाक बताते हैं.
स्रोत और उद्धरण-http://www.dw.com/hi/युवाओं-में-बढती-नशाखोरी-की-प्रवृत्ति/a-18467017
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