Sunday, 30 April 2017

नपुंसकता ,नपुंसकता के कारण,लक्षण और नपुंसकता का घरेलू इलाज


नपुंसकता ,नपुंसकता के  कारण,लक्षण और नपुंसकता का घरेलू इलाज 


नपुंसकता  : 

जो व्यक्ति यौन संबन्ध नहीं बना पाता या जल्द ही शिथिल हो जाता है वह नपुंसकता का रोगी होता है। इसका सम्बंध सीधे जननेन्द्रिय से होता है। इस रोग में रोगी अपनी यह परेशानी किसी दूसरे को नहीं बता पाता या सही उपचार नहीं करा पाता मगर जब वह पत्नी को संभोग के दौरान पूरी सन्तुष्टि नहीं दे पाता तो रोगी की पत्नी को पता चल ही जाता है कि वह नंपुसकता के शिकार हैं। इससे पति-पत्नी के बीच में लड़ाई-झगड़े होते हैं और कई तरह के पारिवारिक मन मुटाव हो जाते हैं बात यहां तक भी बढ़ जाती है कि आखिरी में उन्हें अलग होना पड़ता है। कुछ लोग शारीरिक रूप से नपुंसक नहीं होते, लेकिन कुछ प्रचलित अंधविश्वासों के चक्कर में फसकर, सेक्स के शिकार होकर मानसिक रूप से नपुंसक हो जाते हैं मानसिक नपुंसकता के रोगी अपनी पत्नी के पास जाने से डर जाते हैं। सहवास भी नहीं कर पाते और मानसिक स्थिति बिगड़ जाती है।

नपुंसकता के  कारण :

 नपुंसकता के दो कारण होते हैं- शारीरिक और मानसिक। चिन्ता और तनाव से ज्यादा घिरे रहने से मानसिक रोग होता है। नपुंसकता शरीर की कमजोरी के कारण होती है। ज्यादा मेहनत करने वाले व्यक्ति को जब पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता तो कमजोरी बढ़ती जाती है और नपुंसकता पैदा हो सकती है। हस्तमैथुन, ज्यादा काम-वासना में लगे रहने वाले नवयुवक नपुंसक के शिकार होते हैं। ऐसे नवयुवकों की सहवास की इच्छा कम हो जाती है।

नपुंसकता के  लक्षण :

 मैथुन के योग्य न रहना, नपुंसकता का मुख्य लक्षण है। थोड़े समय के लिए कामोत्तेजना होना, या थोड़े समय के लिए ही लिंगोत्थान होना-इसका दूसरा लक्षण है। मैथुन अथवा बहुमैथुन के कारण उत्पन्न ध्वजभंग नपुंसकता में शिशन पतला, टेढ़ा और छोटा भी हो जाता है। अधिक अमचूर खाने से धातु दुर्बल होकर नपुंसकता आ जाती है।

► हेल्थ टिप्स :

 नपुंसकता से परेशान रोगी को औषधियों खाने के साथ कुछ और बातों का ध्यान रखना चाहिए जैसे सुबह-शाम किसी पार्क में घूमना चाहिए, खुले मैदान में, किसी नदी या झील के किनारे घूमना चाहिए, सुबह सूर्य उगने से पहले घूमना ज्यादा लाभदायक है। सुबह साफ पानी और हवा शरीर में पहुंचकर शक्ति और स्फूर्ति पैदा करती है। इससे खून भी साफ होता है। नपुंसकता के रोगी को अपने खाने (आहार) पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। आहार में पौष्टिक खाद्य-पदार्थों घी, दूध, मक्खन के साथ सलाद भी जरूर खाना चाहिए। फल और फलों के रस के सेवन से शारीरिक क्षमता बढ़ती है। नपुंसकता की चिकित्सा के चलते रोगी को अश्लील वातावरण और फिल्मों से दूर रहना चाहिए क्योंकि इसका मस्तिष्क पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। इससे बुरे सपने भी आते हैं जिसमें वीर्यस्खलन होता है।

► ईसबगोल :

 ईसबगोल की भूसी 5 ग्राम और मिश्री 5 ग्राम दोनों को रोज सुबह के समय खायें और ऊपर से दूध पी लें। इससे शीध्रपतन की विकृति खत्म होती है। ईसबगोल की भूसी और बड़े गोखरू का चूर्ण 20-20 ग्राम तथा छोटी इलायची के बीजों का चूर्ण 5 ग्राम इन सबका चूर्ण बनाकर रोज 2 चम्मच गाय के दूध के साथ लें।

► सफेद प्याज :

 सफेद प्याज का रस 8 मिलीलीटर, अदरक का रस 6 मिलीलीटर और शहद 4 ग्राम, घी 3 ग्राम मिलाकर 6 हफ्ते खाने से नपुंसकता खत्म हो जाती है। सफेद प्याज को कूटकर दो लीटर रस निकाल लें। इसमें 1 किलो शुद्ध शहद मिलाकर धीमी आग पर पकायें जब सिर्फ शहद ही बच कर रह जाये तो आग से अतार लें और उसमें आधा किलो सफेद मूसली का चूर्ण मिलाकर चीनी या शीशे के बर्तन में भर दें। 10 से 20 ग्राम तक दवा सुबह-शाम खाने से नामर्दी मिट जाती है।

 ► जामुन :

 जामुन की गुठली का चूर्ण रोज गर्म दूध के साथ खाने से धातु (वीर्य) का खत्म होना बन्द हो जाता है।


► छुहारे :

 छुहारे को दूध में देर तक उबालकर खाने से और उसी दूध को पीने से नपुंसकता खत्म होती है। रात को पानी में दो छुहारे और 5 ग्राम किशमिश भिगो दें। सुबह को पानी से निकालकर दोनों मेवे को दूध के साथ खायें।

► बादाम :

 बादाम की गिरी, मिश्री, सौंठ और काली मिर्च कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर कुछ हफ्ते खाने से और ऊपर से दूध पीने से धातु (वीर्य) का खत्म होना बन्द होता है। बादाम को गर्म पानी में रात में भींगने दें। सुबह थोड़ी देर तक पकाकर पेय बनाकर 20 से 40 मिलीलीटर रोज पीयें इससे मूत्रजनेन्द्रिय संस्थान के सारे रोग खत्म हो जाते हैं।

► गाजर : 

रोज गाजर का रस 200 मिलीलीटर पीने से मैथुन-शक्ति (संभोग) बढ़ती है। गाजर का हलवा रोज 100 ग्राम खाने से सेक्स की क्षमता बढ़ती है।

► कौंच : 

कौंच के बीज के चूर्ण में तालमखाना और मिश्री का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर 3-3 ग्राम की मात्रा में खाने और दूध के साथ पीने से नपुंसकता (नामर्दी) खत्म होती है। कौंच के बीजों की गिरी तथा राल ताल मखाने के बीज। दोनों को 25-25 ग्राम की मात्रा में लेकर पीसकर छान लें, फिर इसमें 50 ग्राम मिसरी मिला लें। इसमें 2 चम्मच चूर्ण रोज दूध के साथ खाने से लाभ होता है।

 ► गिलोय :

 गिलोय, बड़ा गोखरू और आंवला सभी बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें 5 ग्राम चूर्ण रोज मिसरी और घी के साथ खाने से प्रबल मैथुन शक्ति विकसित होती है।

► जायफल :

 जायफल का चूर्ण लगभग आधा ग्राम शाम को पानी के साथ खाने से 6 हफ्ते में ही धातु (वीर्य) की कमी और मैथुन में कमजोरी दूर होगी। जायफल का चूर्ण एक चौथाई चम्मच सुबह-शाम शहद के साथ खायें। और इसका तेल सरसों के तेल के मिलाकर शिश्न (लिंग) पर मलें।

► बेल :

 बेल के पत्तों का रस 20 मिलीलीटर निकालकर उसमें सफेद जीरे का चूर्ण 5 ग्राम, मिसरी का चूर्ण 10 ग्राम के साथ खाने और दूध पीने से शरीर की कमजोरी खत्म होती है। बेल के पत्तों का रस लेकर उसमें थोड़ा-सा शहद मिलाकर शिश्नि पर 40 दिन तक लेप करने से नपुंसकता में लाभ होगा।

► सफेद मूसली : 

सफेद मूसली और मिसरी बराबर मिलाकर पीसकर चूर्ण बना कर रखें और चूर्ण बनाकर 5 ग्राम सुबह-शाम दूध के साथ खाने से शरीर की शक्ति और खोई हुई मैथुन शक्ति वापस मिल जाती है। सफेद मूसली 250 ग्राम बारीक चूर्ण बना लें, उसे 2 लीटर दूध में मिलाकर खोया बना लें। फिर 250 ग्राम घी में डालकर इस खोए को भून लें। ठंडा हो जाने पर आधा किलो पीसकर शक्कर (चीनी) मिलाकर पलेट या थाली में जमा लें। सुबह-शाम 20 ग्राम खाने से काम-शक्ति बढ़ती है। सफेद मूसली, सतावर, असगंध 50-50 ग्राम कूट छान कर 10 ग्राम दवा सोते समय 250 मिलीलीटर कम गर्म दूध में खांड़ के संग मिलाकर लें। सफेद मूसली 20 ग्राम, ताल मखाने के बीज 200 ग्राम और गोखरू 200 ग्राम। तीनों को पीसकर चूर्ण बनाकर रखें, फिर इसमें से 5 ग्राम चूर्ण दूध के साथ खायें। सफेद मूसली और मिसरी बराबर मात्रा में कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर 6 ग्राम की मात्रा में खाने से और ऊपर से नपुंसकता (नामर्दी) खत्म होती है।

► चना : 

भीगे चने सुबह-शाम चबाकर खाने से ऊपर से बादाम की गिरी खाने से मैथुन-शक्ति बढ़ती है और नंपुसकता खत्म होती है।

► शतावर :


 शतावर को दूध में देर तक उबालकर मिसरी मिलालें और उस दूध को पीने से ही कुछ महीनों में नपुंसकता (नामर्दी) खत्म हो जाती है। शतावर, असगंध, एला, कुलंजन और वंशलोचन का चूर्ण बनाकर रखें। 3 ग्राम चूर्ण में 6 ग्राम शक्कर को मिलाकर खाने से और फिर ऊपर से दूध पीने से कुछ महीनों में नपुंसकता (नामर्दी) खत्म होती है। शतावर और असगन्ध के 4 ग्राम चूर्ण को दूध में उबाल कर पीने से नपुंसकता (नामर्दी) दूर होती है। शतावर का चूर्ण 10 ग्राम से 20 ग्राम को चीनी मिले दूध में सुबह-शाम डालकर पीयें इससे नपुंसकता दूर होती है। शरीर की कमजोरी भी दूर होती है।

► सेमल :
 सेमल के पेड़ की छाल के 20 मिलीलीटर रस में मिसरी मिलाकर पीने से शरीर में वीर्य और मैथुन शक्ति बढ़ती है। 10-10 ग्राम सेमल के चूर्ण और चीनी को 100 मिलीलीटर पानी के साथ घोट कर सुबह-शाम लेने से बाजीकरण यानी संभोग शक्ति ठीक होती है और नपुंसकता भी दूर हो जाती है।

 ► बड़ी गोखरू : 

बड़ी गोखरू का फांट या घोल सुबह-शाम लेने से कामशक्ति यानी संभोग की वृद्धि दूर होती है। 250 मिलीलीटर को खुराक के रूप में सुबह और शाम सेवन करें। बड़ा गोखरू और काले तिल इन दोनों को 14 ग्राम की मात्रा में कूट-पीस लें फिर इस को 1 किलो गाय के दूध में पकाकर खोआ बना लें। यह एक मात्रा है। इस खोयें को खाकर ऊपर से 250 मिलीलीटर गाय के निकाले दूध के साथ पी लें 40 दिन तक इसको खाने से नपुंसकता दूर हो जाती है। 25 ग्राम बड़ी गोखरू के फल का चूर्ण, 250 मिलीलीटर उबले पानी में डालकर रखें। इसमें से थोड़ा-थोड़ा बार-बार पिलाने से कामोत्तेजना बढ़ती है। बड़ी गोखरू के फल का चूर्ण 2 ग्राम को चीनी और घी के साथ सेवन करें तथा ऊपर से मिश्री मिले दूध का सेवन करने से कामोत्तेजना बढ़ती है।

► गोखरू :

 हस्तमैथुन की बुरी लत से पैदा हुई नपुंसकता को दूर करने के लिए 1-1 चम्मच गोखरू के फल का चूर्ण और काले तिल को मिलाकर शहद के साथ दिन में 3 बार नियमित रूप से कुछ हफ्तों तक सेवन करें इससे नपुंसकता में लाभ होता है। गोखरू, कौंच के बीज, सफेद मूसली, सफेद सेमर की कोमल जड़, आंवला, गिलोय का सत और मिश्री बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। 10 ग्राम से लगभग 20 ग्राम तक चूर्ण दूध के साथ खाने से नपुंसकता और वीर्य की कमजोरी दूर होती है। गोखरू को 3 बार दूध में उबालकर तीनों बार सुखाकर चूर्ण बनाकर खाने से नपुंसकता दूर होती है। गोखरू का चूर्ण और तिल बराबर मिलाकर बकरी के दूध में पकाकर शहद में मिला लें और खायें इससे अनेक प्रकार की नपुंसकता खत्म होती है। देशी गोखरू 150 ग्राम पीसकर छान लें। इसे 5-5 ग्राम सुबह-शाम शहद में मिलाकर चाटने से नपुंसकता (नामर्दी) में लाभ मिलता है। गोखरू, तालमखाना, शतावर, कौंच के बीजों की गिरी, बड़ी खिरेंटी तथा गंगरेन इन सबको 100 ग्राम की मात्रा में लेकर पीस लें। इस चूर्ण को 6 ग्राम से 10 ग्राम तक की मात्रा में रात के समय फांककर ऊपर से गरम दूध पियें। 60 दिनों तक रोज खाने से वीर्य बढ़ता है और नपुंसकता दूर होती है।

► विदारीकन्द :

 विदारीकन्द के चूर्ण को घी, दूध और गूलर के रस के साथ खाने से प्रौढ़ पुरुष भी नवयुवकों की तरह मैथुन-शक्ति प्राप्त कर सकता है। 5 ग्राम विदारीकन्द को पीसकर लुगदी बना लें। इसे खाकर ऊपर से 5 ग्राम देशी घी और मिश्री मिलाकर दूध के साथ पियें। यह बल और वीर्य को बढ़ाता है तथा इससे नपुंसकता दूर होती है।

► सूखे सिंघाड़े :

 सूखे सिंघाड़े को कूट-पीसकर घी और चीनी के साथ हलवा बनाकर खाने से कुछ ही हफ्ते में नपुंसकता खत्म हो जाती है।

► तरबूज :

 तरबूज के बीजों की गिरी 6 ग्राम, मिश्री 6 ग्राम मिलाकर, चबाकर खाने से और ऊपर से दूध पीने से शरीर में शक्ति विकसित होने से नपुंसकता (नामर्दी) खत्म होती है।

3 comments:

  1. Very useful home remedies. Erectile dysfunction is very disappointing for males.

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  2. Very useful home remedies. Consider also taking hard rock capsule to treat impotence.

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  3. very useful post. Eliminate weak erection issue with the use of herbal supplement because of its effectiveness. It is both safe and effective also.

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