Friday, 12 May 2017

पिछले 5000 साल से असीरगढ़ के किले में भटक रहा है अश्वत्थामा?


पिछले 5000 साल से असीरगढ़ के  किले में भटक रहा है अश्वत्थामा?



क्या कोई 5000 साल तक जिंदा रह सकता है? विज्ञान और तर्कशास्त्री कहते हैं नहीं, किसी इंसान का 5000 साल तक जिंदा रहना मुमकिन नहीं है। हम भी यही मानते हैं कि कोई इंसान, कोई जानवर धरती पर 5000 साल तक जिंदा नहीं रह सकता। लेकिन हिन्दुस्तान में ही एक जगह है जहां के लोग हर रोज ये दावा करते हैं, कि कोई जो पिछले 5000 साल से भटक रहा है। वो जगह है मध्यप्रदेश का एक छोटा सा शहर बुरहानपुर और शहर के किनारे ऊंची पहाड़ी पर बना असीरगढ़ का किला।

लोगों के इस अंधविश्वास का असली सच दुनिया के सामने लाने के लिए IBN7 की टीम भी इस किले पर पहुंची। ये सोचकर कि उस अनजान परछाई को कैमरे में कैद करेंगे और गांववालों का बरसों पुराना वहम दूर हो जाएगा। लेकिन यहां आकर हमें कुछ ऐसी तस्वीरें दिखाई दीं जिसने हमें भी हैरान कर दिया। किले के चारों तरफ जंगल है। आसपास कोई रिहाइश भी नहीं है। लेकिन खेती के सिलसिले में कुछ गांव वाले अक्सर यहां आते हैं। उनमें से कुछ ऐसे भी होते हैं, जिनका सामना उस अनजान शख्स से हो जाता है।

ऐसा ही एक शख्स हमें भी मिला अज्जू जो एक पहलवान है, और अक्सर इसी पहाड़ी पर करसत के लिए आता था। लेकिन अब इस पहाड़ी का ज़िक्र होते ही उसका दिल दहला उठता है क्योंकि कुछ वक्त पहले ही इस पहाड़ी पर अज्जू की मुलाकात उस अनजान शख्स से हुई थी। हमारे लिए अब भी ये सबकुछ एक अंधविश्वास था। अज्जू हमारे सामने कुछ ऐसे दावे कर रहा था, जिसे कोई भी शख्स एक मजाक समझने की भूल कर सकता है।

हमें अज्जू की बातों पर ज़रा भी यकीन नहीं था। लेकिन फिर हमें एक और शख्स मिला। उसने भी उस अनजान शख्स का कुछ वैसा ही हुलिया बयां किया। गांव वालों से अबतक हमने जो कहानी सुनी वो ये थी कि कोई है जो पिछले 5000 साल से इन किले में भटक रहा है। उसके माथे पर खून निकलता है वो कोई परछाई, कोई साया, कोई भूत-प्रेत नहीं है बल्कि वो एक जीता-जागता इंसान है, जो लोगों से बातें करता है। गांववालों ने जिस अनजान शख्स का ज़िक्र किया उससे मिलता-जुलता एक किरदार महाभारत में भी था अश्वत्थामा, गांव वालों के मुताबिक वो अनजान शख्स कोई और नहीं, बल्कि अश्वत्थामा हैं।


पौराणिक कहानियों के मुताबिक पिता द्रोणाचार्य की मृत्यु का बदला लेने के लिए अश्वत्थामा ने अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र चलाया था। लेकिन तब भगवान श्रीकृष्ण ने परीक्षित की रक्षा की, और अश्वत्थामा को सजा देने के लिए उनके माथे से मणि निकाल ली। और अश्वत्थामा को युगों-युगों तक भटकते रहने का श्राप दिया।

वैसे देश में कई ऐसी जगहें हैं जहां अश्वत्थामा की मौजूदगी का दावा किया जाता है। लेकिन कई इतिहासकार मानते हैं, कि अश्वत्थामा का असली ठिकाना असीरगढ़ का यही किला है। हमारे लिए इस गांव और असीरगढ़ के किले का रहस्य गहराता जा रहा था। हमारे सामने भी कई सवाल थे, कि क्या वाकई अश्वत्थामा जिंदा हैं। क्या गांव के लोगों को अश्वत्थामा दिखाई देते हैं। क्या वाकई अश्वत्थामा असीरगढ़ के किले में भटक रहे हैं।

गांववाले भी उस अनजान शख्स का जो हुलिया बता रहे थे वो अश्वत्थामा की वेशभूषा से मिलता जुलता था। दावा सिर्फ अश्वत्थामा के दिखाई देने का नहीं था बल्कि दावा ये भी था कि अश्वत्थामा को देखने वाले ज्यादातर लोग किसी न किसी बीमारी का शिकार हो जाते हैं। कोई पागल हो जाता है, तो किसी को लकवा मार जाता है।

गांव में हमें इस दावे का जीता जागता सबूत भी मिला। पाला नाम के इस बुजुर्ग का दावा है कि कुछ बरस पहले वो जंगल में जानवर चरा रहे थे तभी एक आदमी उनके पास आया उनसे मख्खन मांगा और फिर अचानक गायब हो गया। उस वाक्ये के बाद से ही पाला अबतक ये बेबस जिंदगी जीने को मजबूर हैं। हमारे लिए ये सबकुछ अब भी एक अंधविश्वास था। गांववालों का एक वहम था, जो पुरानी कहानियों से चला आ रहा है। हम इस रहस्य को पूरी तरह बेनकाब करना चाहते थे...कैमरे पर उस शख्स को कैद करना चाहते थे, जिसे गांव के लोग अश्वत्थामा मानते हैं।

1984 में इस गांव के लोगों ने पुलिस थाने में शिकायत भी दर्ज कराई थी। इस रहस्य का सच जानने के लिए हम उस केस की छानबीन करने वाले पुलिस अधिकारी रफीक खान के पास भी पहुंचे। उस रहस्य का जवाब किसी के पास नहीं था। अपने दावे को साबित करने के लिए गांव के लोग हमें कई सबूत भी दिखा रहे थे।

ऐसा ही एक सबूत था पैरों का निशान जो आए दिन गांव की मिट्टी में दिखाई दे जाता है। देखने में ये पैर किसी इंसान का नहीं लग रहा था। हम कुछ और आगे बढ़े, तो हमें कुछ नई कहानियां बताई गईं। कहा गया कि जब अश्वत्थामा आसपास से गुजरते हैं तो गायें कम दूध देती हैं। कहा जाता है कि गायों का दूध अश्वत्थामा ही पी जाते हैं।

हम ये सोच रहे थे कि शायद ये सबकुछ किसी की शरारत होगी। गांव के ही कुछ लोग खबरों में बने रहने के लिए मनगढ़ंत कहानियां बुन रहे होंगे। हम तय कर चुके थे कि चाहे कुछ भी हो जाए, हम उस अन्रुाान शख्स को कैमरे पर कैद करेंगे। हमने गांव के लोगों से अश्वत्थामा से जुड़ी जानकारियां जुटाई और फिर ज़िक्र हुआ इस किले में बने एक शिव मंदिर का। बताया जाता है कि ये मंदिर पांडवों के वक्त का है और रोज उस शिव मंदिर में अश्वत्थामा पूजा करने आते हैं।

इस मंदिर को लेकर भी कई रहस्य हैं। कहा जाता है कि रात में इस मंदिर के दरवाजे बंद होते हैं। लेकिन अगली सुबह मंदिर में लोगों को ताजे फूल मिलते हैं और यही अश्वत्थामा के जिंदा सबूत भी हैं। हमने फैसला किया, कि हम इस मंदिर के रहस्य और उस अनजान शख्स को पहली बार टीवी कैमरे पर कैद करेंगे। हमने मंदिर के भीतर जाकर शिवलिंग पर चढ़े सारे फूल हटा दिए। मंदिर को पूरी तरह साफ कर दिया और फिर मंदिर के बाहर ही रात गुजारने का फैसला किया। अगली सुबह ये बहुत बड़ा रहस्य बेनकाब होने वाला था और हमें भी सुबह की पहली किरण का इंतजार था।

http://hindi.news18.com/news/nation/madhya-pradesh-asirgarh-kila-ashwathama-ibn7-special-report-418397.html

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