Thursday, 11 May 2017

दूसरी दुनिया का रहस्य


दूसरी दुनिया का रहस्य



विशेषज्ञों का कहना है कि यदि कुछ आश्चर्यजनक घटनाएं घटती हैं, तो इसे दो तरफा होना चाहिए अर्थात इस जगत से व्यक्ति दूसरे लोक में पहुंचता है, तो दूसरे विश्व से इस संसार में आगमन की घटनाएं भी होनी चाहिए। ऐसे ही एक अद्भुत प्रसंग की चर्चा 12वीं सदी की है, जब इंग्लैंड में हेनरी द्वितीय का शासन था। एक दिन दो हरी त्वचा वाले भाई-बहन एक स्थान पर एक छिद्र से बाहर आए। उनके हाथ-पैर मनुष्यों जैसे थे, पर चमड़ी का रंग गहरा हरा था। वे विचित्र रंग की पोशाक पहने थे। वस्त्र किस पदार्थ का बना था, यह नहीं जाना जा सका। जब वे सुराख से बाहर आए, तो बड़ी देर तक आश्चर्य चकित हो मैदान में इधर-उधर टहलते रहे। अंतत: किसानों ने उन्हें पकड़ लिया और वाइक्स में रिचर्ड डी कैल्नी के घर ले आए। कई महीनों के उपरांत उनका वर्ण बदल गया। वे सामान्य मनुष्यों के रंग के हो गए। इसी बीच भाई बीमार पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई। बहन जीवित रही। बाद में उसने लीन के सम्राट से शादी कर ली। जब लड़की से इस दुनिया में पहुंचने का रहस्य पूछा गया, तो उसने कहा कि एक दिन वे दोनों भेड़ चराते हुए एक गुफा के द्वार पर पहुंच गए। जब उसमें प्रवेश किया, तो उससे घंटी जैसी अत्यंत सुरीली ध्वनि आती सुनाई पड़ी। इसके उद्गम स्रोत का पता लगाने के लिए वे बड़ी देर तक उस मांद में घूमते रहे और अंततोगत्वा इस विश्व में पहुंच गए। जब ऊब गए, तो पुन: अपने लोक में लौट जाने की इच्छा हुई। उन्होंने गुफा का द्वार खोजना आरंभ किया, पर उसे ढूंढ़ पाने में सफल न हो सके और ग्रामीणों द्वारा पकड़ लिए गए। बालिका का कहना था कि जहां से वे आए थे, वहां न तो यहां जैसी गर्मी है, न प्रकाश। उस लोक को प्रकाशित करने वाला सूर्य जैसा कोई देदीप्यमान पिंड वहां नहीं है। एक मंद शीतल प्रकाश उस संसार को सदा आलोकित करता रहता है। वह प्राय: कहा करती थी कि उसके अपने विश्व के नजदीक ही यहां जैसा प्रकाशवान एक अन्य लोक है, पर दोनों के बीच एक विशाल अगम्य नदी है। वैज्ञानिक ऐसे प्रसंगों की विवेचना ब्लैक होल के आधार पर करते हैं। उनका मत है कि इस प्रकार के संदर्भों में श्याम विवर की उपस्थिति ही तर्कसंगत और मान्य हो सकती है। इससे कम में इसकी वैज्ञानिक मीमांसा संभव नहीं। विज्ञान विशारद भी ब्लैक होल में फंसे व्यक्ति को लेकर कुछ ऐसा ही अनुमान लगाते हैं। अंग्रेज भौतिकीविद् और गणितज्ञ प्रो. जान टेलर लिखते हैं कि श्याम विवर के अंदर खिंचाव इतना भीषण होता है कि उसमें स्पेस पतली लंबी गर्दन की शक्ल ग्रहण कर सकती है, जिसका दूसरा सिरा किसी अन्य लोक से जुड़ा हो। वे कहते हैं कि यदि सचमुच ऐसा होता है और ब्लैक होल के भीतर का व्यक्ति सुरक्षित बचा रहता है, तो वह उस संकरी गली के माध्यम से किसी बिलकुल ही पृथक विश्व में पहुंच जाएगा। वहां जीवित रहने पर भी वह किसी भी परिष्कृत यंत्र से अपने लोक से संपर्क स्थापित करने में असफल रहेगा। ऐसी स्थिति में वह अपने यान को पुन: श्याम विवर में इस आशा के साथ प्रविष्ट करा सकता है कि वह फिर इसके माध्यम से अपने विश्व में पहुंच जाएगा, किंतु उसका इस प्रकार का हर प्रयास निरर्थक साबित होगा और प्रत्येक प्रयत्न उसे हर बार एक नई दुनिया में पहुंचा देगा। इस तरह वह अपने मूल जगत में पहुंचने में कदाचित् कभी भी सक्षम न हो सके। पृथ्वी पर स्थित ब्लैक होलों के संबंध में वैज्ञानिकों के एक दल का विश्वास है कि इस प्रकार के अनेक छोटे ब्लैक होल्स इसके स्थल भाग में स्थित हो सकते हैं पर किन्हीं कारणों से उनके मुंह बंद रहते हैं और यदा-कदा ही खुलते हैं, किंतु जब खुलते हैं, तो इसी प्रकार की घटनाएं देखने-सुनने को मिलती हैं। ऐसी यात्राएं प्राचीन समय में सफलतापूर्वक संपन्न की जाती थीं। महाभारत में एक इसी तरह के प्रसंग का उल्लेख वन पर्व के तीर्थयात्रा प्रकरण में मौजूद है, जिसमें बंदी नामक एक पंडित ने यज्ञायोजन हेतु विद्वान ब्राह्मणों को समुद्र मार्ग से वरुण लोक भेजा था। चर्चा यह भी है कि यज्ञ के उपरांत वे सकुशल पुन: उसी मार्ग से पृथ्वी लोक आ गए थे।
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