सच्ची अहिंसा क्या है ,अहिंसावादी बंधु जरूर पढ़ें
किसी समय एक राज्य पर दूर देश के विधर्मी शासक ने आक्रमण कर दिया। राजा नेअपने सेनापति को आदेश दिया कि सेना लेकर सीमा पर जाए और आक्रमणकारियों को मुंहतोड़ जवाब दे।सेनापति अहिंसावादी था। वहलड़ना नहीं चाहता था, पर राजा का आदेश था।अत: वह अपनी समस्या लेकर परामर्श करने के लिए भगवान बुद्ध के पास गया।
सेनापति ने कहा- युद्ध होने पर शत्रु सेना के सैकड़ों सैनिक मारे जाएंगे, क्या यह हिंसा नहीं है?‘हां हिंसा तो है पर यह बताओ,यदि हमारी सेना ने उनका मुकाबला न किया तो क्या वे वापस अपने देश चले जाएंगे?’भगवान बुद्ध ने प्रश्न किया।
सेनापति ने कहा- नहीं, वापस तो नहीं जाएंगे।‘अर्थात वे हमारे देश में निरपराधनागरिकों की हत्या करेंगे? फसल और संपत्ति को नष्ट करेंगे?’
गौतम बुद्ध के इस सवाल पर सेनापति का जवाब था कि हां, यहतो होगा ही। ‘तो क्या यह हिंसा नहीं होगी?यदि तुम हिंसा के भय से चुप बैठे रहे, तब हमारे देश के नागरिक मारे जाएंगे और इस हिंसा का पाप तुम्हारे सिर आएगा।’ बुद्ध बोलेयह सुन सेनापति ने सिर झुका लिया।
भगवान बुद्ध ने फिर पूछा- क्या हमारी सेना आक्रमणकारियों को रोकनेमें सक्षम है?जी हां, यदि उसे आदेशदिया जाए तो वह हमलावरों को बुरी तरह मार भगाएगी।’ सेनापति का उत्तर था।
गौतम बुद्ध नेकहा- तब अपनी सेना को तुरंत आदेश दो कि वह शत्रु सेना का हर तरह से मुकाबला करे और उन्हेंपराजित कर देश से निकाल दे।कथा का सार यह है कि अहिंसा का अर्थ कायरता नहीं है। इसका अर्थ है, किसी दूसरे पर अत्याचार न करना।लेकिन यदि कोई हम पर अत्याचार करे तो उसका मुंहतोड़ जवाब देना
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