विश्व के लिए भयंकर खतरा – एड्स जाने समस्त जानकारी एड्स के बारे में
एड्स एक ऐसी बीमारी है जो विश्व में भयंकर खतरे के रूप में फैली हुई है । इस बीमारी से बचाव भी बहुत कठिन प्रतीत होता है । विश्व भर के वैज्ञानिक इस बीमारी से छुटकारा पाने के उपचार के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहें हैं लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है । एड्स सभी बीमारियों से बड़ी बीमारी है क्योंकि हर बीमारी का इलाज संभव है परन्तु एड्स का नहीं । इस बीमारी के लक्षण प्रकट होने पर लगभग 60% लोग एक साल के अंदर मौत के शिकार हो जाते हैं ।
कोई भी एड्सग्रस्त व्यक्ति तीन से पांच वर्ष से अधिक जीवित नहीं रह सकता । यह रोग एच.आई.वी. वायरस से फैलता है जिसका पूरा नाम है ह्यूमन इम्यूनो डेफिशियेंसी वायरस है । ऐसा माना जाता है कि यह वायरस अफ्रीका में रीसिस जाति के बंदर मैं पाया जाता है । यह कोई भी नहीं जानता कि यह मानव में कैसे प्रविष्ट हो गया । कहा जाता है कि अफ्रीका के कुछ लोग बंदर का मास खाते हैं । हो सकता है इसी माध्यम से यह वायरस उनके शरीर में पहुंचे हों । इस रोग का पहला पीड़ित व्यक्ति सन 1981 इस्वी मैं अमेरिका में ही पाया गया था ।
लेकिन अब तो यह रोग विश्वभर में फैल चुका है । यू .एन .आ. की संस्था डब्ल्यू० .एच .ओ. की रिपोर्ट के अनुसार अगली शताब्दी में भारत इस रोग से सबसे अधिक प्रभावित होगा । भारत में लगभग प्रतिदिन 10,000 लोग इस बीमारी से मरा करेंगे । यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक रक्त तथा वीर्य से फैलता है । जो लोग स्वछंद यौन संबंध रखते हैं या समलैंगिक क्रियाओं को करते हैं उन्हें यह बीमारी शीघ्रता से जकड़ लेती है । किसी एड्स पीड़ित व्यक्ति के रक्त को यदि किसी रोगी को बिना जांच के दे दिया जाए तो दूसरे व्यक्ति के भी एड्स हो जाएगा ।
एड्स ग्रसित गर्भवती माताएं अपनै बच्चों को जन्म से ही यह रोग दे देती हैं । हमारे देश में यह रोग अशिक्षा एवं निर्धनता के कारण फैल रहा हैं । रोग का हलाज करने वाले डॉक्टर ‘भी इस रोग को बढ़ाने मैं सहयोगी वन रहे है । वै अपने रोगियों को बार– बार एक ही सूई से टीका लगाते हैं जिससे एड्स से ग्रस्त व्यक्ति के वायरस दूसरे व्यक्ति मे चले जाते हैं । रोगी के रक्त की जांच करने पर ही यह पता चलता है कि रोगी एड्स से पीड़ित है भी या नहीं ।
डॉक्टर को प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग सूई का इस्तेमाल करना चाहिए । इस्तेमाल के बाद सूई तोड़ देनी चाहिए । नशा करने के लिए भी लोग एक ही सुई का इस्तेमाल करते हैं । इस प्रकार स्वयं तौ रोग से ग्रस्त होते ही हैं समाज में भी -यह बीमारी बढ़ाते हैं । वेश्याएं तथा बुरे चरित्र के लोग भी इस तरह से इस बीमारी को बढावा देते हैं । जिस किसी भी व्यक्ति के शरीर में एड्स नामक वायरस होता है पहले तीन महीने मैं तौ उसका पता लगाना ही संभव नहीं होता ।
इस समय को संक्रमण काल -कहते हैं. । एड्स के अपने कोई लक्षण नहीं होते । इस रोग में एच .आई .वी. मनुष्य के. शरीर में प्रविष्ट हौकर उसके प्रतिरोधी तंत्र पर आक्रमण करते हैं । मानव शरीर में T-4 lymphocyte प्रतिरोधी शशक्तिकार्य करतै हैं । रएड्स’के वायरस इन ससेल्स-की प्रतिरोधी शक्ति को समाप्त कर देते हैं 1 जिससे मनुष्य का शशरीरकिसी भी प्रकार के रोगाणुओ के हमले का शिकार बनने लगता दहै। प्रतिरोधी शक्ति समाप्त होने के कारण शरीर अनेक प्रकार -की बीमारियों -का शिकार होने लगता है । रोगी को अन्य रोग जैसे -बुखार, भार घट जाना, पेचिश आदि कई बीमारियां लगती हहैं। परन्तु उन सबका इलाज सं भव नहीं हो पाता और ध्यान एड्स की ओर जाता है । इस बीमारी की पुष्टि के लिए एलिसा टटैस्टककाफीकारगर सिद्ध हुआ है ।
इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है । एड्स सें पीड़ित व्यक्ति -को समाज ही नहीं बल्कि परिवार भी तिरस्कृत कर देता है । बीमा कंपनियां ‘भी ‘ऐसे ललोगोंका बीमा नहीं करतीं । इसलिए ऐसे रोगी यानि एड्स ‘से पीडित व्यक्ति अपनी बीमारी को सभी से छिपाकर रखते हैं । अनजाने मैं अन्य लोग उनके’ सम्पर्क में आने ‘से इस रोग से ग्रस्त हो जाते हहैं। यह रोग रक्त के आदान-प्रदान से, यौन संबंध से या एड्स पीड़ित व्यक्ति द्वारा प्रयोग की गई सूई के इस्तेमाल से फैलता है ।
साथ में रहने, खाने-पीने, काम करने, सोने से यह रोग नहीं फैलता है । मच्छर के द्वारा भी यह रोग नहीं फैलता है । इसलिए हमें एड्स ग्रस्त व्यक्ति के साथ कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए । इस बीमारी से छुटकारा पाने के लिए अनेक प्रयत्न किए जा रहे है परन्तु अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है । डइसरोग से पीड़ित व्यक्ति-यों को तरह-तरह के रोग पीड़ित करते हैं जिनके उपचार के लिए अनेक प्रकार के एंटीबायोटिक दवाइयों का प्रयोग किया जाता है ।
एड्स के वायरस अजैविक होते हैं. इसलिए रोगी के सैल में ही जीवित होते हैं । वे शरीर से बाहर नहीं रह पाते । इसलिए इन्हें नष्ट करने के लिए उपयोगी दवाएं ढूंढना कठिन हो रहा है । एड्स पीड़ित व्यक्तियों की संख्या बढ़ती जा रही है । इलाज मिल नहीं रहा है न जाने आने वाले वर्षों में मानव जाति का क्या होगा? एड्स पीड़ित व्यक्तियों की गणना के अनुसार भारत चौथे स्थान पर है ।
सरकार ने लोगों को इसके- प्रति जागरूक करने के लिए अनेक ममाध्यमोंजैसे टी .वी., रेडियो, अखबार आदि का सहारा लिया क्योंकि इस बीमारी से सावधानी रखकर ही बचा जा सकता है । आत्म नियंत्रण एवं रक्त के आदान-प्रदान में पूर्ण परीक्षण के द्वारा ही इस भयंकर खतरे से बचा जा सकता है ।
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