धतूरे के इस पेड़ की वास्तविकता जान कर आप भी हो जायेगे हैरान एक बार जरूर पढ़ें
दोस्तों आज मै आप को धतूरे के बारे में बताएँगे ,धतूरा एक जहरीला पौधा होते हुए भी इसका उपयोग हमारी जिन्दगी में बहुत महत्वपूर्ण है।धतूरा एक पादप है।। यह लगभग १ मीटर तक ऊँचा होता है। यह वृक्ष काला-सफेद दो रंग का होता है। और काले का फूल नीली चित्तियों वाला होता है। हिन्दू लोग धतूरे ले फल, फूल और पत्ते शंकरजी पर चढ़ाते हैं। आचार्य चरक ने इसे 'कनक' और सुश्रुत ने 'उन्मत्त' नाम से संबोधित किया है। आयुर्वेद के ग्रथों में इसे विष वर्ग में रखा गया है। अल्प मात्रा में इसके विभिन्न भागों के उपयोग से अनेक रोग ठीक हो जाते हैं।
आयुर्वेद में उपयोग
धतूरे के पत्तों का धूँआ दमा शांत करता है। तथा धतूरे के पत्तों का अर्क कान में डालने से आँख का दुखना बंद हो जाता है। धतूरे की जड सूंघे तो मृगीरोग शाँत हो जाता है। धतूरे की फल को बीच से तरास कर उसमें लौंग रखे फिर कपड मिट्टी कर भूमर में भूने जब भून जावे तब पीस कर उसका उडद बराबर गोलीयाँ बनाये सबेरे साँझ एक -एक गोली खाने से ताप और तिजारी रोग दूर हो जाय और वीर्य का बंधेज होवे। धतूरे के कोमल पत्तो पर तेल चुपडे और आग पर सेंक कर बालक के पेट पर बाँधे इससे बाल का सर्दी दूर हो जाती है। और फोडा पर बाँधने से फोडा अच्छा हो जाता है। बवासीर और भगन्दर पर धतूरे के पत्ते सेंक कर बाँधे स्त्री के प्रसूती रोग अथवा गठिया रोग होने से धतूरे के बीजों तेल मला जाता है।ये लेख विभिन्न किताबों और पत्रिकाओं के अध्ययन पर आधारित है ,इस लेख में दी गयी जानकारी सही प्रकाशित करने की कोशिश की गयी है। समस्त फोटो गूगल से ली गयी हैं जिनका लेख की वास्तिविकता से कोई सम्बन्ध नहीं है।
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