Wednesday, 13 September 2017

मानवता की मिशाल बने ये दो दोस्त, पढ़े आगरा की एक मार्मिक कहानी

मानवता की मिशाल बने ये दो दोस्त, पढ़े आगरा की एक मार्मिक कहानी

दोस्तों मानवता अभी भी ज़िंदा है।  आज मै आपको मानवता को प्रदर्शित करती एक पहल प्रकाश सिंह के ही जुबान से ही सुनाऊंगा। यह मार्मिक कहानी प्रकश सिंह से हुई वार्ता पर आधारित है । प्रकाश सिंह बताते है कि आज दिनांक 13.09.2017 को मैं अपने साथी बृजमोहन के साथ आ रहे थे कि पुलिस लाइन आगरा ग्राउड के सामने एक अँधा  आदमी सड़क के किनारे बैठा  था। भीड़  भाड़  लगी  हुयी थी। यही देकर हम दोनों साथी गए तो वह आदमी बेबस  था , बेबसी देखकर उसे हम साथ लेकर आये और पूछे  क्या तकलीफ है,भोजन करने की बात कही। पुलिस लाइन के सामने होटल  पर भोजन  करवाया। उससे पूछने पर बताया  की मेरा नाम शकील  है ,मै बुलंद शहर  का रहने  वाला हु।  सम्बंधित थाना  प्रभारी  से वार्ता किये,उसके बाद शकील  जो की अँधा है,बोला साहब आप लोग हमें यही रहने दीजिये। मैं चला जाऊंगा,यह बात सुनकर हमें बहुत तकलीफ हुयी। हम उसके गाँव जाने के लिए पैसा / किराया  देने के लिए तैयार थे,लेकिन उस आदमी से बार  बार पूछा  गया,वह यही कह रहा था कि मै चला जाऊंगा । उसके बाद मै और मेरा साथी हम दोनों वापस  चले आये। 

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