Tuesday, 25 April 2017

एचआईवी से जुड़ी कुछ ख़ास बातें जो हर युवा को जानना है जरूरी


एचआईवी से जुड़ी कुछ  ख़ास बातें जो हर युवा को जानना है जरूरी 


एचआईवी के खिलाफ 20 साल पहले जितने उपाय मौजूद थे आज उससे कहीं ज्यादा हैं. लेकिन अभी भी हर साल इससे 10 लाख लोग प्रभावित हो रहे हैं. एचआईवी से जुड़ी 10 बातें जो जानना जरूरी हैं.

 दुनिया भर में 3.5 करोड़ से ज्यादा लोग एचआईवी संक्रमित हैं. इनमें से दो तिहाई सबसहारा अफ्रीकी देशों में हैं. दक्षिण अफ्रीका एचआईवी से सबसे ज्यादा प्रभावित है जहां हर छठा व्यक्ति संक्रमित है.

 विषमलैंगिक संबंधों में एचआईवी पुरुषों से महिलाओं में ज्यादा आसानी से पहुंचता है, महिलाओं से पुरुषों में पहुंचने की संभावना थोड़ी कम होती है. अगर पुरुष का खतना हुआ है तो महिला को 60 फीसदी तक कम खतरा होता है.

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 एचआईवी और एड्स लाइलाज हैं, लेकिन पता चल जाने पर नियंत्रण संभव है. एंटीरेट्रो वायरल इलाज से वायरस को फैलने से रोका जा सकता है. यह दवा मरीज को जीवन भर लेनी होती है. इस इलाज की मदद से एचआईवी के कारण होने वाली मौतें 80 फीसदी तक कम की जा सकी हैं.

 1990 के दशक में एचआईवी फैलने से कई देशों में मृत्यु दर बहुत बढ़ गई, खासकर अफ्रीका में. एंटीरेट्रो वायरल इलाज ने दोबारा जीवन की उम्मीद बंधाई. जहां 2005 में मरीजों की औसत आयु 54 वर्ष थी वहीं 2011 में यह 60 तक पहुंच गई.

 एचआईवी के इलाज का पेटेंट दवाओं की कंपनियों के पास होने की वजह से बाजार में जेनेरिक दवाएं नहीं मिल पाती हैं. इस कारण इलाज बहुत महंगा पड़ता है. इससे अफ्रीकी देशों में इलाज बुरी तरह प्रभावित हुआ है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 1.9 करोड़ मरीज ऐसे हैं जिन्हें उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है.

 एचआईवी के खिलाफ 100 फीसदी कामयाब टीका मौजूद नहीं है. इस पर दुनिया भर में रिसर्चें जारी हैं.

 एचआईवी वायरस के बारे में जटिल बात है उसका तेजी से रूप बदल लेना, संक्रमित शरीर के भीतर भी. एचआईवी वायरस के कई टाइप हैं, हालांकि इनमें से दो मानव शरीर को संक्रमित करने में प्रमुख हैं.

 एक संक्रमित शरीर में बाहरी संक्रमण के खिलाफ एंटीबॉडी तैयार करने में आम तौर पर छह हफ्ते लगते हैं. इस बीच एचआईवी टेस्ट करना बेकार है. एचआईवी संक्रमित होने पर शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं. यह पहली बार होता है जब शरीर बाहरी वायरस का असर दिखाता है.

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 एचआईवी संक्रमित लोगों को आम लोगों के मुकाबले टीबी के बैक्टीरिया का 20 गुना ज्यादा खतरा होता है. अफ्रीका में एचआईवी संक्रमित लोगों में मौत की प्रमुख वजह टीबी है.

 दक्षिण अफ्रीका की एचआईवी पॉलिसी दुनिया के लिए बहुत लंबे समय तक चौंकाने वाली रही. 2008 में स्वास्थ्य मंत्रालय ने संक्रमण के इलाज के लिए चुकंदर और जैतून के तेल के इस्तेमाल की सलाह दी. एंटीरेट्रो वायरल इलाज से इनकार कर दिया गया था. लेकिन अब हालात अलग हैं.



स्रोत एवं उद्धरण-http://www.dw.com/hi/एचआईवी-10-जरूरी-बातें/a-17802725

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