मिर्गी (दौरा पड़ना) क्या है ,इसके लक्षण ,और मिर्गी को जड़ से ख़त्म करने के घरेलू उपाय
लक्षण (Symptoms)
► मिर्गी के रोग से ग्रस्त होने पर व्यक्ति के शरीर में झटके आना तथा शरीर का अकड़ जाता हैं.
► उसकी आँखे ऊपर की ओर उलट जाती हैं.
► व्यक्ति का अपने शरीर पर नियंत्रण नहीं रहता. इसलिए वह अनियंत्रित शारीरिक गतिविधियाँ करता हैं.
► मिर्गी के दौरे आने पर व्यक्ति अपने होंठों को तथा जीभ को काटने लगता हैं.
► कई बार व्यक्ति मिर्गी के दौरे आने पर एक जगह अपनी निगाहों को केन्द्रित कर लगातार देखता रहता हैं
मिर्गी के रोग का उपचार (Treatment of Epilepsy Disease)
निम्बू और हिंग
► मिर्गी की बिमारी से राहत पाने के लिए एक निम्बू लें और थोडा सा हिंग का पाउडर लें.
► अब निम्बू को दो भागों में काट लें और उसपर थोडा - सा हिंग पाउडर छिड़क दें.
► अब इस निम्बू के रस को आराम – आराम से चूसें.
► इसके अलावा निम्बू के साथ गोरखमुंडी का भी प्रयोग कर सकते हैं.
निम्बू में हिंग पाउडर या गोरखमुंडी मिलाकर रोजाना चूसने से कुछ ही दिनों में मिर्गी के दौरे आने बंद हो जायेंगे.
बिजौरा निम्बू का रस तथा निर्गुण्डी का रस
► मिर्गी की बिमारी को ठीक करने के लिए एक बिजौरा निम्बू लें और निर्गुण्डी के पौधे की पत्तियां लें.
► अब बिजौरा नीबू को काट लें और उसका रस एक कटोरी में निकाल लें.
► अब निर्गुण्डी के पौधे की पत्तियां लें और उन्हें धोने के बाद पीसकर इसका रस निकाल लें.
► अब बिजौरे निम्बू के रस में निर्गुण्डी के पत्तियों का रस डालकर अच्छी तरह से मिला लें.
► अब बिजौरे निम्बू और निर्गुण्डी के रस की बूंदों को अपनी नाक में डाल लें.
लगातार 4 दिनों तक बिजौरे निम्बू और निर्गुण्डी के रस को नाक में डालने से आपको मिर्गी के रोग में काफी राहत मिलेगी.
प्याज का रस
► मिर्गी के दौरों से हमेशा – हमेशा के लिए छुटकारा पाने के लिए प्याज लें और उन्हें पिसकर लगभग 75 मिली. रस निकाल लें.
► अब एक गिलास में थोडा पानी लें और इसमें प्याज के रस को मिला लें.
► इसके बाद सुबह उठकर इस पानी का सेवन करें.
रोजाना सुबह उठने के बाद प्याज के रस में पानी मिलकर सेवन करने से आपको मिर्गी के दौरे पड़ने बंद हो जायेगें. इसके अलावा यदि मिर्गी के रोग से ग्रस्त व्यक्ति मिर्गी के दौरे पड़ने के बाद बेहोश हो जाता हैं तो भी आप प्याज के रस का प्रयोग कर सकते हैं. मिर्गी के रोग से पीड़ित व्यक्ति की बेहोशी दूर करने के लिए थोडा सा प्याज का रस लें और उसे रोगी व्यक्ति को सुंघा दें. प्याज के रस को थोड़ी देर सूंघाने के बाद व्यक्ति की बेहोशी बिल्कुल ख़त्म हो जायेगी.
लहसुन
मिर्गी की बिमारी से प्रभावित व्यक्ति को यदि दौरे पड़ने के बाद बेहोशी आ गई है तो आप लहसुन का प्रयोग कर सकते हैं.
► लहसुन का प्रयोग करने के लिए कुछ लहसुन की कलियाँ लें और उनके ऊपर के छिलके हटा दें.
► लहसुन की कलियों को छिलने के पश्चात् इन्हें अच्छी तरह से कूट लें.
► अब कूटे हुए लहसुन को बेहोश हुए व्यक्ति को सुंघाए. लहसुन की कलियों को कूटकर सुंघाने के कुछ ही मिनट बाद व्यक्ति की बेहोशी दूर हो जायेगी.
दूध और लहसुन
► मिर्गी के रोग से मुक्ति पाने के लिए लहसुन की 10 कली लें और एक गिलास दूध लें.
► अब एक बर्तन में दूध डालें और उसे उबालने के लिए रख दें.
► जब दूध अच्छी तरह से उबल जाएँ तो इसमें लहसुन की कलियाँ डाल दें.
► लहसुन की कलियों को दूध में कुछ देर उबालने के बाद उसे उतार कर पीने लायक ठंडा कर लें.
► अब इस दूध में से लहसुन की कलियों को निकालकर इन्हें खा लें.
► लहसुन का सेवन करने के बाद जिस दूध में लहसुन को उबाला था. उसे पी लें.
► इसके अलावा आप मिर्गी के रोग से मुक्त होने के लिए लहसुन की कलियों को सरसों के तेल में भी सेंक कर खा सकते हैं. लहसुन की कलियों को दूध में मिलाकर खाने से या सरसों के तेल में भूनकर कर खाने से आपको जल्द ही मिर्गी के रोग से हमेशा – हमेशा के लिए मुक्ति मिल जायेगी.
लहसुन और तिल
यदि किसी व्यक्ति को वायु के कारण मिर्गी के दौरे आते हैं तो भी आप लहसुन का प्रयोग कर सकते हैं.
► वायु के द्वारा पैदा होने वाले मिर्गी के रोग को दूर करने के लिए एक ग्राम लहसुन लें और तिन ग्राम तिल लें.
► अब इन दोनों को एक साथ मिलाकर खूब महीन पीस लें.
► पिसने के बाद तिल तथा लहसुन के इस मिश्रण का सेवन करें.
लगातार 15 से 20 दिनों तक इस मिश्रण का सेवन करने से आपको इस रोग में आराम मिल जाएगा.
लहसुन और घी
मिर्गी के रोग के लिए लहसुन बहुत ही फायदेमंद होता हैं. मिर्गी के रोग को ठीक करने के लिए आप इसका प्रयोग अनेक प्रकार से कर सकते हैं. जैसे यदि आप लहसुन की कलियों को घी में भूनकर प्रतिदिन खाएं तो आपको मिर्गी के रोग और रोग के कारण होने वाले दौरों से छुटकारा मिल जाएगा.
लहसुन और काला तिल
► मिर्गी की बिमारी के निदान हेतु 10 ग्राम लहसुन लें और 30 ग्राम काला तिल लें.
► अब काले तिल को तथा लहसुन को एक साथ कूट लें.
► लहसुन और तिल को कूटने के बाद इस मिश्रण का सेवन करें.
रोजाना दिन में एक बार 25 दिनों तक इस मिश्रण का सेवन करने से मिर्गी का रोग ठीक हो जाएगा.
मिर्गी के ऐसा रोग है जिसमें पीड़ित अचानक अपनी सूद खो देता है, उसको चक्कर आने लगते है, कुछ लोगों के मुहँ में झाग आने लगते है, जबड़ा मजबूती से चिपक जाता है, शरीर कांपने लगता है, कुछ का शरीर ऐंठ जाता है, कई लोगों का मल मूत्र तक निकल जाता है और वो मूर्छित होकर जमीन पर गिर पड़ता है. वैसे आपको बता दें कि मिर्गी तंत्रिका तन्त्र ( Nervous System ) का रोग है और इसे इंग्लिश में एपिलेप्सी ( Epilepsy ) कहा जाता है.
ऐसा नहीं है कि इस समस्या से पीड़ित लोग इसका उपचार नहीं कराते किन्तु वे जो एंटीबायोटिक्स या एलोपैथिक दवा लेते है, उनसे सिर्फ रोग दबता है रोग का नाश नहीं होता और यही कारण है कि दवा लेने तक तो रोगी ठीक रहता है किन्तु जैसे ही वो दवा लेना बंद करता है उसको दौरे पड़ने फिर से आरम्भ हो जाते है. आजकल तो ये समस्या 10 से 20 वर्ष के बच्चों तक में देखि जा सकती है, दौरा का प्रभाव इतना अधिक होता है कि पीड़ित 10 मिनट से कुछ घंटों तक बेहोशी की हालत में पड़ा रहता है.
मिर्गी का दौरा पड़ने के कारण ( Causes of Epilepsy Attack ) :
मिर्गी का दौरा पड़ने का मुख्य कारण अधिक मानसिक दबाव या शारीरिक कार्य करना होता है, किन्तु ये सिर पर चोट लगने, ज्यादा शराब का सेवन करने, तेज बुखार के होने, ब्रेन ट्यूमर होने, लकवे, आनुवांशिक, ज्ञान तंत्रों में ग्लूकोस के कम होने, तंत्रिका तंत्र के कमजोर होने, पाचन तंत्र में खराबी होने, आंव आने, कर्मी रोग, मासिक धर्म में गड़बड़ी होने और मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी होने इत्यादि कारणों की वजह से होता है.
मिर्गी का प्राथमिक उपचार ( First Aid for Epilepsy Attack ) :
प्राकृतिक उपचार की दृष्टि से देखा जाए तो मिर्गी का दौरा तब पड़ता है जब शरीर में खान पान की वजह से विषैला पदार्थ इक्कठा हो जाता है. अगर आपके सामने किसी व्यक्ति को दौरा पड़ जाए तो सबसे पहले उसके आसपास की हवा को ना रुकने दें, फिर उसे दाई या फिर बायीं करवट में लिटा दें, इसके बाद उसके मुहँ पर पानी के छीटें मारते रहें, किसी तरह उसका मुहँ खोलें और उसके दांतों के नीचे कोई कपड़ा या कुछ रख दें, इससे रोगी की जीभ काटने से बचती है. ध्यान रहें कि ना तो उसे कुछ खिलाने का प्रयास करें और ना ही कुछ पिलाने का.
मिर्गी के रोगी के लिए उपचार ( Home Treatment for Epilepsy Attack ) :
► तुलसी और सीताफल ( Basil and Pumpkin ) : मिर्गी का दौरा आने पर रोगी की नाक में तुलसी के रस और सेंधा नमक के मिश्रण को टपकायें. अगर आसपास तुलसी का पौधा ना हो तो उसकी नाक में सीताफल के पत्तों का रस डालें.
► करौंदे ( Gooseberry ) : मिर्गी से पीड़ित रोगियों को समय समय पर करौंदे के पत्तों से बनी चटनी का सेवन करना चाहियें. अगर वे रोग इसे खा सके तो ये उनके लिए अधिक बेहतर रहेगा.
► सफ़ेद प्याज ( White Onion ) : साथ ही रोगियों को रोजाना 1 चम्मच सफ़ेद प्याज का रस पानी के साथ पीना चाहियें, इससे उनको दौरे आने बंद हो जाते है.
► शहतूत ( Mulberry ) : रोगी को होश में आने के बाद शहतूत और सेब का रस निकालकर उसमें थोड़ी हिंग मिलाकर खिलानी चाहियें ताकि दौरे का प्रभाव शीघ्र खत्म हो सके और वो जल्द ही सामान्य हो जाए.
► सुंघायें ( Smell These ) : रोगी को पानी में पीसी हुई राई, कपूर, तुलसी रस, लहसुन रस, आक की जड़ की छाल का रस, नीम्बू रस व हिंग में से किसी भी चीज को सुंघाया जा सकता है.
खाएं ( Eat These ) : रोगी को मुंग की दाल, भुनी हुई अरहर की दाल, सुपाच्य व सिमित भोजन, चोकर के साथ गेहूँ के आटे की रोटी खाने से लाभ मिलता है.
► फल ( Fruits ) : जहाँ तक फलों की बात है तो उन्हें आम, अनार, संतरा, सेब, नाशपाती, आडू, अनानास और अंजीर का सेवन करना चाहियें.
► नाश्ता ( Breakfast ) : इन्हें अपने प्रातःकाल के नाश्ते में दूध व दूध से बने पदार्थों के साथ मुंग और अंकुरित मोंठ खानी चाहियें.
► मेवे ( Nuts ) : वहीं मेवों में ये काजू, बादाम और अखरोट का सेवन कर सकते है.
► चटनी ( Sauce ) : अगर ये चटनी का सेवन करना चाहते है तो गाजर व पुदीने की चटनी खाएं.
· सलाद ( Salad ) : जबकि सलाद में इन्हें टमाटर, नीम्बू, प्याज, खीरे, मुली, गाजर को शामिल करना चाहियें.
व्यायाम ( Do Exercise Daily ) : नित्य प्रतिदिन घुमने और व्यायाम करने से आपके मन को शान्ति मिलेगी और आपका शरीर भी स्वस्थ व रोगमुक्त रहेगा. आसनों में शीर्षासन और सर्वांगासन आपके लिए सर्वोताम है किन्तु ध्यान रहे कि आसन खाली पेट करने है. हल्के व्यायाम के बाद आपको बाथटब में नहाना चाहियें. नहाने के बाद ढीले और आरामदेह कपड़ों पहने ताकि शरीर में हवा आती जाती रहे और आपको घुटन महसूस ना हो.
इन चीजों से रहें दूर ( Beware of These ) :
► खान – पान ( Food ) : मिर्गी के रोगियों को मसालेदार, मिर्च वाले, तले हुए और गरिष्ट पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहियें. उड़द और मसूर की दाल, राजमा, गोभी, बैंगन, चावल, मछली, कचालू और मटर का कम से कम सेवन करने की कोशिश करें. चाय, कॉफ़ी, गुटखा, शराब, तम्बाखू, पेपरमेंट और मांस को भी अलविदा कह दें. कहने का तात्पर्य है कि उष्ण पदार्थों से आपको दूर ही रहना है.
► दिनचर्या ( Daily Routine ) : कहीं भी अकेले ना जाएँ, सीढ़ी भी ना चढ़ें और चढ़ें तो किसी को साथ लेकर चढ़ें, आग और पानी से दूर रहें, साइकिल या गाडी ना चलायें, गुस्सा या झगडा ना करें, अधिक ऊँचे स्थान पर ना जाएँ, अगर मल या मूत्र त्याग के लिए जाना है तो तुरंत चले जाएँ इन्हें रोकने की कोशिश ना करें, करवट लेकर सोयें, सोते वक़्त ध्यान रखें कि आपका सिर उत्तर दिशा में हो.
स्रोत और उद्धरण-http://www.jagrantoday.com/2016/06/mirgi-ka-asardar-ghrelu-upchar-useful.html
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