मैं और मेरे घर आये विज्ञान को न मानने वाले व्यक्ति की बेहद दिलचस्प कहानी
हेल्प इंडिया। कुछ दिन पहले एक धार्मिक व्यक्ति,हमारे पास रात गुज़ारने आया, वह थोड़ा बीमार था। लेकिन धार्मिक स्कूल में पढ़ा था तो दिमाग़ी तौर पे बहुत बीमार था। मैं रात को दूसरे लड़कों को जीव विज्ञान के बारे में कुछ बता रहा था, धार्मिक व्यक्ति बोला,ये सब झूठ है,साइंस की बातों के पीछे लगकर ज़िंदगी बर्बाद मत करो, साइंस-वाइंस कुछ नहीं होती है। मैंने उसकी दवा उठाकर अपनी जेब में डाली,उसका मोबाइल ऑफ़ करके अपनी जेब में डाला,और रूम की लाइट और पंखा बंद कर दिया।धार्मिक व्यक्ति बोला,ये क्या कर रहे हैं।मैंने कहा,ये दवाई, मोबाइल,पंखा,बल्ब ये सब साइंस के आविष्कार हैं।अब अंधेरे में बैठकर मच्छर मार और बोल कि साइंस कुछ नहीं होती।धार्मिक प्राणी खिसयानी हंसी हंसने लगा।मैंने लाइट ऑन की और उससे कहा,साइंस से जुड़ी हर चीज़ का सिर्फ़ दस दिन त्याग करके दिखा दे,उसके बाद बोलना कि साइंस कुछ नहीं होती,वह व्य्यक्ति बिना कुछ बोले चुपचाप सो गया।ऐसे धार्मिक व्यक्क्तिओं की कमी नहीं है,जो साइंस की हर चीज़ इस्तेमाल करते हैं और साइंस के विरुद्ध भी बोलते हैं।साइंस के जिन अविष्कारों ने हमारे जीवन और दुनिया को बेहतर बनाया है, वे सब अविष्कार उन्होंने किये, जिन्होंने धार्मिक कर्मकांडों में समय बर्बाद नहीं किया। आज कोई भी धार्मिक व्यक्ति साइंस से संबंधित चीज़ों के बिना जीने की कल्पना भी नहीं कर सकता,लेकिन ये एहसान फ़रामोश साइंसदानों का एहसान नहीं मानते। ये उस काल्पनिक शक्ति का एहसान मानते हैं, जिसने मानव के विकास में बाधा डाली है और जिसने मानवता को टुकड़ों में बांटा है।
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