Sunday, 23 April 2017

मुश्किलों से अपने आप को बड़ा बना लो ,मुश्किलें अपने आप छोटी हो जायेगे ,एक प्रेणना दायक कहानी




मुश्किलों से अपने आप को बड़ा बना लो ,मुश्किलें अपने आप छोटी हो जायेगे ,एक प्रेणना दायक कहानी 


मुश्किलें, मुसीबतें सभी की जिंदगी में लगी रहती हैं। लेकिन जो इन्सान छोटी सी मुश्किल या मुसीबत को बहुत बड़ा बना लेता है या इनसे डर जाता है` ये उसकी जिंदगी में कड़वाहट घोल देती हैं और उसकी जिंदगी को निराशा से भर देती हैं और वो इन्सान अपनी जिंदगी में कभी आगे नहीं बढ़ पाता है। लेकिन जो इन्सान इनसे घबराता नहीं है और खुद को इनसे भी बड़ा बना लेता है ये उसकी जिंदगी की मिठास को नहीं छीन पाती हैं और वो इन्सान बहुत जल्दी इनसे बाहर निकल जाता है।

एक बार एक व्यक्ति अपनी जिंदगी में बहुत परेशान हो गया। मुश्किलों और मुसीबतों से वह इस कदर टूट गया कि उसके मन में हर पल नकारात्मक विचार आने लगे। बहुत ज्यादा हताश होने पर वह एक संत के पास पहुँचा और उनसे अपनी समस्या बताई। संत ने उसकी बात को ध्यानपूर्वक सुना और उसे अगले दिन आने को कहा।

अगले दिन जब वह व्यक्ति संत के पास पहुँचा तो उन्होंने उसे पानी से भरा एक गिलास देते हुए कहा  “इसमें एक मुट्ठी नमक डालो और इस पानी को पी जाओ।”

वह व्यक्ति संत की बात को मानते हुए पानी में नमक डालकर पीने लगा। लेकिन एक घूँट पानी से ज्यादा नहीं पी पाया और थूक दिया।

संत ने पूछा “क्या हुआ? पानी का स्वाद कैसा लगा?”

“बिल्कुल बेकार….. एकदम कड़वा” व्यक्ति ने जवाब दिया।

संत थोड़ा मुस्कुराये और बोले “अब एक मुट्ठी नमक और लो और मेरे पीछे पीछे आओ।”

वह व्यक्ति नमक लेकर संत के पीछे पीछे चलने लगा।

थोड़ी देर चलने के बाद संत एक झील के पास जाकर रुके।

अब संत ने व्यक्ति से कहा “इस नमक को झील में डाल दो।”

व्यक्ति ने नमक झील में डाल दिया।

उसके बाद संत बोले “अब इस झील का पानी पियो।”

व्यक्ति ने झील से पानी लिया और पीने लगा।

जब व्यक्ति ने पानी पी लिया तब संत ने उससे फिर पूछा “अब पानी का स्वाद कैसा है? क्या यह तुम्हे अभी भी कड़वा लग रहा है?”

“नहीं.. नहीं.. ये तो बहुत मीठा है। व्यक्ति ने जवाब देते हुए कहा।

फिर संत ने उसे समझाते हुए कहा। “जीवन के दुःख भी बिल्कुल नमक की तरह ही हैं। ना तो इससे कम और ना ही इससे ज्यादा। जीवन में दुखों की मात्रा वही रहती है लेकिन ये हम पर निर्भर करता है कि हम दुखों, मुश्किलों, मुसीबतों का सामना किस तरह से करते हैं। अगर हमने खुद को छोटा करके दुखों को बहुत बड़ा बना दिया तो ये दुःख हमारी जिंदगी को कड़वाहट से भर देंगे। और यदि हमने दुखों की तुलना में खुद को बहुत बड़ा बना लिया तो कोई भी दुःख हमारी जिंदगी की मिठास को नहीं छीन सकता ।”

0 comments:

Post a Comment