इलाहाबाद हाईकोर्ट के पक्षपात फैसले के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में दस्तक
सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार, MHRD, UGC एवं काशी हिन्दू विवि को नोटिस जारी किया।जस्टिस अग्रवाल एवं जस्टिस कौल की वेकेशन बैंच (पीठ) ने बीएचयू और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। इलाहाबाद हाईकोर्ट के द्वारा काशी हिन्दू विवि में विभागवार आरक्षण के फैसले के विरुद्ध दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की अवकाश कालीन पीठ सामने आज दिनांक 16.6.2017 को सुनवायी के लिये सूचीबद्ध किया गया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 7 अप्रैल 2017 के अपने एक पक्षीय फैसले में बीएचयू के विज्ञापन संख्या 02/2016-17 को रद्द करते हुए विभागवार/विषयवार आरक्षण लागू करते हुए नये सिरे से विज्ञापन संख्या- 01/2017-18 जारी करने का फैसला दिया था। जिसके कारण पूर्व में अनुसूचित जाति, जनजाति व अन्य पिछड़े वर्ग के लिये पूर्व में आरक्षित सभी पद सामान्य श्रेणी में विज्ञापित कर दिए गए हैं। नये विज्ञापन में आरक्षण नियमों का खुला उल्लंघन हुआ है और पिछड़े तथा वंचित वर्गों का प्रतिनिधित्व लगभग समाप्त कर दिया गया है। यद्यपि कोर्ट ने यूजीसी एवं केन्द्र सरकार को इस सन्दर्भ में नये सिरे से दिशा निर्देश जारी करने का निर्देश भी दिया था लेकिन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने बिना किसी गाइडलाइन के नया विज्ञापन जारी कर दिया। इस विज्ञापन के विरुद्ध प्रो. लालचन्द प्रसाद, प्रो. महेश प्रसाद अहिरवार एवं प्रो. जे. बी. कुमरैया के नेतृत्व में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के अनुसूचित जाति, जनजाति के वरिष्ठ शिक्षकों का प्रतिनिधि मंडल कुलपति प्रो. गिरीश चन्द्र त्रिपाठी से मिलकर अपनी आपत्तियां दर्ज करायी थीं किन्तु कुलपति ने केवल झूठा आश्वासन दिया। अब तक कोई सकारात्मक कार्यवाही नहीं होते देख वंचित वर्गों के शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में जाने का निश्चय किया।। काशी हिन्दू विवि प्रशासन के मनमानी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसने नये विज्ञापन निकालने के पहले रिजर्वेशन रोस्टर को सार्वजनिक नहीं किया और न ही विवि के अनुसूचित जाति जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ट द्वारा ध्यानाकर्षित की गई लगभग तीन दर्जन आपत्तियों का निष्पादन किया। विवि प्रशासन की तानाशाही और इलाहाबाद हाईकोर्ट के पक्षपात एवं पिछड़ा वर्ग विरोधी फैसले के विरुद्ध बीएचयू के जागरूक अध्यापकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया है।
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