मानवीय संवेदनाओं को झकझोरती एक दुःख भरी कहानी
मैं थक-हार कर काम से घर वापस जा रहा था। कार में शीशे बंद होते हुए भी जाने कहाँ से ठंडी-ठंडी हवा अंदर आ रही थी। मैं उस सुराख को ढूंढने की कोशिश करने लगा पर नाकामयाब रहा।कड़ाके की ठण्ड में आधे घंटे की ड्राइव के बाद मैं घर पहुंचा।
रात के 12 बज चुके थे, मैं घर के बाहर कार से आवाज देने लगा बहुत देर हॉर्न भी बजाया,शायद सब सो चुके थे।
10 मिनट बाद खुद ही उतर कर गेट खोला ,सर्द रात के सन्नाटे में मेरे जूतों की आवाज़ साफ़ सुनी जा सकती थी।कार अन्दर कर जब दुबारा गेट बंद करने लगा तभी मैंने देखा एक 8-10 साल का बच्चा, अपने कुत्ते के साथ मेरे घर के सामने फुटपाथ पर सो रहा है।वह एक अधफटी चादर ओढ़े हुए था ।
उसको देख कर मैंने उसकी ठण्ड महसूस करने की कोशिश की तो एकदम सकपका गया।
मैंने अच्छी कंपनी की महंगी जेकेट पहनी हुई थी फिर भी मैं ठण्ड को कोस रहा था,और बेचारा वो बच्चा,मैं उसके बारे में सोच ही रहा था कि इतने में वो कुत्ता बच्चे की चादर छोड़ मेरी कार के नीचे आ कर सो गया।
मेरी कार का इंजन गरम था,शयद उसकी गरमाहट कुत्ते को सुकून दे रही थी।
फिर मैंने कुत्ते की भागने की बजाय उसे वहीं सोने दिया,और बिना अधिक आहट किये पीछे का ताला खोल घर में घुस गया । सब के सब सो रहे थे। मैं चुप-चाप अपने कमरे में चला गया।
जैसे ही मैंने सोने के लिए रजाई उठाई उस लड़के का ख्याल मन आया और मैंने मन में सोचा मैं कितना स्वार्थी हूँ। मेरे पास विकल्प के तौर पर कम्बल ,चादर ,रजाई सब थे,पर उस बच्चे के पास एक अधफटी चादर भर थी। फिर भी वो बच्चा उस अधफटी चादर को भी कुत्ते के साथ बाँट कर सो रहा था और मुझे घर में फ़ालतू पड़े कम्बल और चादर भी किसी को देना गवारा नहीं था।
यही सोचते-सोचते ना जाने कब मेरी आँख लग गयी। अगले दिन सुबह उठा तो देखा घर के बहार भीड़ लगी हुई थी।
बाहर निकला तो किसी को बोलते सुना-अरे वो चाय बेचने वाला सोनू कल रात ठण्ड से मर गया।
मेरी पलके कांपी और एक आंसू की बूंद मेरी आँख से छलक गयी। उस बच्चे की मौत से किसी को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा,बस वो कुत्ता अपने नन्हे दोस्त के बगल में गुमसुम बैठा था ,मानो उसे उठाने की कोशिश कर रहा हो।
दोस्तों, ये कहानी सिर्फ एक कहानी नहीं ये आज के इंसान की सच्चाई है। मानव से अगर मानवता चली जाए तो वो मानव नहीं रहता दानव बन जाता है,और शायद हममें से ज्यादातर लोग दानव बन चुके हैं। हम अपने लिए पैदा होते हैं,अपने लिए जीते हैं और अपने लिए ही मर जाते हैं।ये भी कोई जीना हुआ।
चलिए एक बार फिर से मानव बनने का प्रयास करते हैं,चलिए अपने घरों में बेकार पड़े कपड़े ज़रूरतमंदों के देते हैं,चलिए कुछ गरीबों को खाना खिलाते हैं,चलिए किसी गरीब बच्चे को पढ़ाने का संकल्प लेते हैं,चलिए एक बार फिर से मानव बनते हैं। लेख सोर्स के लिए सन्दर्भ पर क्लिक करे ।
सोर्स और उद्धरण-http://www.achhikhabar.com/2016/12/11/sad-stories-in-hindi-दुख-भरी-कहानी/
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