Saturday, 17 June 2017

उत्तर प्रदेश में न्याय के लिए २०१४ से भटक रहे ९७० कृषि तकनीकी सहायक


न्याय के लिए २०१४ से भटक रहे ९७० कृषि तकनीकी सहायक

उत्तर प्रदेश समाचार । दिनांक २४.०५.२०१७ को डॉ रामगोपाल द्वारा दिए गए शिकायत पत्र का आज तक माननीय मुख्यमंत्री द्वारा न तो कोई जबाब दिया गया और न ही किसी अधिकारी पर कोई एक्शन लिया गया ।इसका मतलब स्पष्ट शब्दों में कहा जाय तो यही होगा कि उत्तर प्रदेश सरकार कहती तो है सबका साथ और सबका विकाश मगर अंदरूनी मानशिकता तो यही दर्शाती है ,की SC/OBC/ST का हम विकाश नहीं होने देंगे ,अगर ऐसा नहीं है तो माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा शेष ९७० कृषि तकनीकी सहायकों को नियुक्ति पत्र क्यों नहीं दिलवाए गए ।जब की ९७० अभ्यार्थी बेहद गरीब और उम्र दराज हैं जोकि अन्य किसी प्रतियोगी परीक्षा में आवेदन नहीं कर सकते । मुख्य प्रश्न तो ये उठता है कि जब ६६२८ में से ५६२९ को सशर्त नियुक्ति पत्र दे दिए गए तो ९७० को क्यों छोड़ा गया ,क्या ९७० अभ्यार्थी कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करते या फिर सरकार का SC/OBC/ST के अभ्यर्थियों के साथ कोई बड़ा गेम खेला जा रहा है । दुखद बात तो ये है कि ९७० में कोई सामान्य वर्ग का अभ्यर्थी नहीं है और जिस प्रक्रिया द्वारा उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने ५६२९ का चयन किया था ठीक उसी प्रक्रिया द्वारा ९७० का चयन ५६२९ के साथ में ही हुआ था । जबकि सूची एक साथ उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने ६६२८ लोगों की चयनित करके नियुक्ति पत्र जारी करने के लिए भेजी थी ,मगर सरकार और कृषि विभाग ने ९७० लोगों को चयन पत्र नहीं दिए । सरकार को ९७० को नियुक्ति पत्र न देने का मतलब है ९७० परिवारों को भुखमरी की कगार पर लाकर खड़ा करना और उनके परिवार को अच्छी शिक्षा से वंचित करना है। नियुक्ति पत्र न मिलने के कारण पूरे प्रदेश में लगभग सात अभ्यर्थी मौत के मुंह में जा चुके ,और उनकी मौत का मुख्य कारण रहा मानशिक ,शारीरिक और आर्थिक रूप से परेशान होना। आखिर सरकार का ध्यान इस तरफ क्यों नहीं जा रहा ये विषय शोचनीय है ।लेख  ९०७ नियुक्ति से वंचित कृषि सहायकों से वार्ता पर आधारित है 

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