ऐसा चायवाला जो रोजाना खिलाता है मुफ्त में 300 लोगों को भोजन ,दिल को दहला देने वाली सच्ची कहानी
मै भोपाल का रहने वाला चाय की दूकान चलाने वाला मामूली सा इंसान हूँ। २०१३ की बात है जब अल्लाह के रहमो करम से मेरी दूकान ठीक ठाक चल रही थी। मेरी दूकान पर अक्सर गरीब लोग ही आया करते थे। उन लोगों से पैसे लेकर मै उन्हें चाय तो पिलाता ,पर उन्हें देख कर मुझे ऐसा लगता कि ये लोग भूखे है और खाना न मिलने के कारण ,अपनी भूख मिटाने के लिए चाय पीने आते है। मैंने अपने शक को कई बार उनसे पूंछ कर पुख्ता किया। मै मन ही मन में बड़ा दुखी होता और सोचता कि मेरा जैसा चाय वाला आखिर उनके लिए कर भी क्या सकता। फिर भी मुझसे जो हो सका मैंने शुरुआत की और नाश्ते के साथ चाय मुफ्त देनी शुरू कर दी।हालाँकि मेरी कमाई में इस से ज्यादा नेकी की गुन्जईस नही थी ,पर इतने से मेरा मन नही मान रहा था। दरअसल गरीबों की भूंख ने मेरी जिन्दगी की परेशानियों को बौना सवित कर दिया। नतीजन सबकुछ अल्लाह पर छोड़ ,मैंने उन गरीबों का मुफ्त में pet भरने का फैसला लिया। अपने मकसद को पूरा करने के लिए ,जो भी हमारी दूकान पर आते मै अपनी आमदनी से उनकी भूख मिटानी शुरू कर दी। चार साल पहले शुरू हुए सफर में मुझे ये नहीं पता था कि ये कितने दिन तक चलेगा। कुदरती तौर पर शुरुआत में मुझे बहुत दिक्कते आयीं,पर मै अपने फैसले पर कायम था। होता ये था कि कभी कभी गरीब जरूरतमंद लोगों की संख्या इतनी ज्यादा हो जाती थी ,कि मेरे द्वारा किया गया इंतजाम काम पद जाता था। मै अपनी पूरी कमी इसी काम में खर्च करने लगा जिससे मेरे घर की हालत खराब हो गयी। कभी कभार तो मेरी गुल्लक खाली हो जाती तो मै अपने घर से पैसे लाकर उन्हें भोजन कराता। इस वजह से मेरे परिवार के लोग भी मुझ पर गुस्स्सा करते। देखते देखते मेरे अभियान को दूसरे लोगों से भी सहयोग मिलाने लगा।
उन लोगों के दान ने मेरे हाथों को और भी ताकतवर बना दिया,जिससे गरीवों की थाली मेरे हांथों में मजबूती से टिकी रहे। लोगों की मदद का का ही नतीजा है कि आज मैंने गरीबों के लिए लंगर -ए -आम नाम से एक रसोई की शुरुआत की है जिसमे आज रोजाना 300 लोग मुफ्त में खाना खाते हैं। लंगर ए आम में ज्यादातर लोग गरीब तबके से होते है ,जिनमे फुटपाथ पर रहने वाले ,कूड़ा बीनने वाले ,ठेला या रिक्शा चालक ,भिखारियों के साथ दूरदराज के गांवों से आये ऐसे गरीब लोग ,जो शहर में या तो मजदूर हैं या नौकरी की तलाश में आये हुए रहते हैं.मुझे अपने काम से बेहद खुसी मिलती है,और न जाने कितने भूखे इंसानों की दुआएं मुझे इसी काम के लिई नसीब हुई होंगी। आज शहर के कई नेक लोग मेरे पास आकर मुझे मेरे काम के लिए मदद देते है। इन्हीलोगों की बदौलत मै सैकड़ों लोगों को रोजाना खाना खिलाने के काविल हुआ हूँ। तमाम अडचनों के बावजूद मैंने गरीब लोगों के लिए कुछ करना चाहा और करके दिखाया। मेरा मानना है कि अगर हर इन्सान अपनी आमदनी से एक गरीब को खाना खिलाये। तो हमारे मुल्क में कोई भी गरीब आदमी भूँखा नहीं सोयेगा। हेल्प इंडिया ऐसे लोगो को सलाम करता है ,जिन्हें अपने से ज्यादा दूसरों की फिक्र है। ये लेख अमर उजाला के प्रवाह पेज से लंगरे ए आम में हर भूखे के लिए रोटी लेख से प्रेरित है।
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