एक गरीब फ़कीर और एक माँ की कहानी, पढ़कर आपका भी ज़मीर जाग उठेगा
एक औरत हमेशा जब अपने घरवालों के लिए रोटी पकाती तो एक रोटी खिड़की के बाहर रख देती, यह सोचकर की कोई भुखा फाकीर आएगा तो ये रोटी उठा कर ले जाएगा और दुआ देगा.जब वह औरत खिड़की पर रोटी रखती तो एक फकीर वहां पर आता और उस रोटी को उठकर चल देता और बोलते जाता जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा, और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट आएगा.
दिन गुजरते गये और ये सिलसिला चलता रहा, वह फकीर रोटी लेकर जाता और यही बात बड़-बड़ाता. जब उस औरत को इस फकीर की हरकत से तकलिफ होने लगी, और औरत ख्यायाल करती की कैसा फकीर है जो शुक्रिया के लफ्ज नही बोलता और ना ही दुआ और कुछ उल्टा सिधा ही बड़-बड़ाता चल देता है, इसका किया मतलब होगा. एक दिन उस औरत के गुस्सा का कोई ठिकाना न रहा और उसने मन ही मन सोच लिया की इस फकीर से निजात पानी है, और इस इरादे से उसने फकीर वाली रोटी मे जहर मिला दिया. पर जब वह खिड़की पर वह रोटी रखने गयी तो उसका जमीर जाग उठा और बोलने लगी की यह वह कैसी हरकत करने जा रही है। किसी गरीब की जान लेना चाहती है।
बस यह सोचकर उसने जहर वाली रोटी जला दी और फिर से अच्छी रोटी बना कर खिड़की पर रख दी, और वह फकीर आया और रोटी उठाकर वही बात बड़-बड़ाता जाने लगा की “जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा, और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट आएगा. हर रोज जब वह औरत खिड़की पर रोटी रखती तो वह अपने एक खोये हुए बेटे की सलामती की दुआ करती, इसी उम्मीद से वह रोटी रखती की जो बरसो पहले उसका बेटे खो गया था वह वापस घर आ जाए और बरसो से अब तक कोई उसकी खबर नही थी. उसी रोज शाम को किसी ने दरवाजा पर दस्तक दी, जब उस औरत ने दरवाजा खोला तो उसने अपने बेटे को पाया, मगर बेटा बहुत कमजोर और चलने लाएक न था. बेहद ही दुबला पतला और ताकत से खाली था. भुख से उसकी हालत खराब होते जा रही थी. जैसे ही उसने अपनी मां को देखा तो बोला की मां ये एक करामत ही है की मै आज जिन्दा हुं. कुछ मिल दुर मेरी हालत भुख से इतनी खास्ता थी की मै एक कदम भी चल नही पा रहा था ना वहां इंसानी अबादी थी न कुछ खाने पिने को अगर ऐसे ही चलता तो वही पर मर जाता.
पर वहां से एक फकीर का गुजर हुआ जिसने मेरी हालत पर तरस खाई और उसने अपने थैले से एक रोटी निकाल कर मुझे खिलाई और बोला की रोज तो ये रोटी मै ही खाता हुं पर आज इसकी जरूरत मुझसे ज्यादा तुझे है. इसे खा ले बस वही रोटी खाकर मुझे अपने घर तक पहुंचने की ताकत मिली और यहां तक पहुंच सका. जैसे ही मां ने इस बात को सुना की उसका चेहरा पिला पड़ गया और अपने आप को सहारा देने दरवाजे पर हाथ रख दिया और सोचने लगी की मेरे बेटे जिसने रोटी दी वह फकीर अगर वही था जो मेरी खिड़की से रोटी ले जाता और कहता की जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा, और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट आएगा.
आज तो मैनें उस फकीर के लिए जहर वाली रोटी रख दी थी, अगर वह रोटी मै वापस नही लेती तो वही रोटी वह फकीर अंजाने मे मेरे ही बेटे को दे देता और मेरा बेटा वहो पर मर जाता. यह सोचकर वह खूब रोई और शर्मिन्दा हुई, और उसने फकीर के लफ्जो से तकलीफ होती थी वह भी समझ मे आ गया की बेशक जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा, और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट आएगा.
सबक : अजीज दोस्त शायद यह वाकीया एक ख्याली बात ही हो, लेकीन ये इंतेहाई हकीकत है के, हमारे बुरे अमाल हमारे साथ ही रहेगा और हमारे अच्छे अमाल लौट हम तक हम तक जरूर आएगा।, लिहाजा हमेशा अच्छा करो और अच्छा करने से अपने आप को ना रोको, फिर चाहे भले उस वक्त न कोई तारीफ करने वाला हो ना कोई देखने वाला।
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