Monday, 14 August 2017

शिक्षामित्रों को प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार नहीं बनाना चाहती सहायक अध्यापक पढ़ें पूरी खबर

शिक्षामित्रों को प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार नहीं बनाना चाहती सहायक अध्यापक पढ़ें पूरी खबर 


हेल्प इंडिया समाचार। दोस्तों  यदि केन्द्र एवं प्रदेश की  सरकार चाहे तो शिक्षा मित्रों को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से घबराने की जरूरत नही है, यह जानकारी मैंने स्वयं की है जो मैं बताने जा रहा हूँ क्योंकि ये जुमलेवाज सरकार  समाजवादी सरकार और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश के फैसले को गैरकानूनी साबित करना चाहती है। संविधान में 9वीं अनुसूची की व्यवस्था है।इसमें अगर कोई कानून बनाकर डाल दिया जाए,तो उसे न्यायालय में चुनौती नही दी जा सकती,अर्थात इस अनुसूची में किसी अधिनियम या अध्यादेश या कानून को शामिल कर न्यायालय के समीक्षा से बचाया जासकता है। सन 1951 से आज तक इस अनुसूची के 311 से अधिक कानून/अधिनियम डाले जा चुके हैं। जिन पर न्यायालय समीक्षा नही कर सकता। अतः उपरोक्त व्यवस्था के लिए यदि सरकार चाहे ,और मुख्यमंत्री की मंशा में कोई खोट नही है तो  विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर  शिक्षामित्रो को सीधे सहायक अध्यापक बनाने संबंधी कानून/अधिनियम पास करा सकते है। प्रधानमंत्री मोदी इस कानून या अधिनियम को संविधान संशोधन कराकर संविधान की 9वी अनुसूची में शामिल कराएं।उसके बाद न्यायालय का समीक्षा का अधिकार उस कानून पर खत्म होगा और शिक्षमित्र सहायक अध्यापक बन सकेंगे बिना किसी विरोध के, क्योंकि इस कानून के खिलाफ विरोधी भी अदालत नही जा सकता।। मित्रो आप शिक्षामित्रो को हमेसा नियमो का हवाला देकर सभी ने अयोग्य ठहराया है,मगर इस तरह से हम सबको मुँह तोड़ जवाब देते हुए अपना हक एवम अधिकार प्राप्त कर सकते है क्योंकि जब बात नियमो की आयी है, तो अब शिक्षमित्रों को इस नियम की बात करके अपनी नौकरी बचाने की मांग करनी चाहिए। 

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